JoharLive Desk
नयी दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) तथा राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में हुए हिंसक आंदोलन के कारण भारतीय रेलवे की संपत्ति को कुल लगभग 80 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है और रेलवे इसकी वसूली आंदोलनकारियों से ही करेगी।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने यहां संवाददाताओं से कहा कि रेलवे को इस आंदोलन के कारण कुल मिलाकर लगभग 80 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है जिसमें से 70 करोड़ रुपए की क्षति पूर्व रेलवे के अंतर्गत पश्चिम बंगाल में हुई है। उन्होंने बताया कि बाकी दस करोड़ रुपए का नुकसान पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के तहत असम एवं अन्य पूर्वोत्तर के राज्यों में हुआ है। इसके अलावा दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत कुछ जगहों पर भी तोड़फोड़ हुई है।
श्री यादव ने कहा कि स्टेशनों, कोचों एवं सिगनल पैनलों को नुकसान पहुुंचाया गया है। रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) राज्य सरकार के राजकीय रेल पुलिस के साथ समन्वय से आंंदोलनकारियों से क्षतिपूर्ति की विधिक कार्यवाही करेगा। यह कार्यवाही रेल अधिनियम की धारा 151 के तहत की जाएगी।
नागरिकता संशोधन कानून (सीसीए) के विरोध में चल रहे रहे देशव्यापी प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप रेलवे संपत्ति को सबसे ज्यादा नुकसान पूर्व, दक्षिण पूर्व मध्य तथा पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे में हुआ जहां आंदोलन के कारण अधिकतर ट्रेनें रद्द किए जाने के बावजूद रेल संपत्तियों को तोड़फोड़ का शिकार होना पड़ा।
रेलवे के किराये बढ़ाए जाने के बारे में पूछे गये सवाल पर श्री यादव ने कहा कि इस बारे में अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है।
उक्त कानून के खिलाफ सबसे पहले गुवाहाटी में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ और आंदोलनकारियों ने ट्रेनों तथा रेलवे स्टेशनों को निशाना बनाना शुरू किया। बाद में यह आंदोलन पश्चिम बंगाल में भी पहुंच गया जिससे कोलकाता और सियालदह आने-जाने वाली तमाम ट्रेनों का परिचालन गड़बड़ा गया। रेलवे के तीनों ज़ोनों में अनेक ट्रेनें रद्द करनी पड़ीं या मार्ग अथवा समय परिवर्तन करना पड़ा।