नई दिल्ली: दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में संविधान दिवस के कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष नेता राहुल गांधी ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया. उन्होंने कहा कि इस देश में पिछले 3000 वर्षों से जो भी दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग और गरीब की बात करता है, उसकी आवाज़ दबा दी जाती है. उन्होंने बताया कि जब उनका माइक बंद किया गया, तब कई लोग उनसे बैठ जाने की सलाह देने आए, लेकिन उन्होंने साफ कहा कि “मैं बैठूंगा नहीं, खड़ा रहूंगा, जितना चाहो माइक बंद कर लो, जो बोलना है बोलूंगा.”
राहुल गांधी ने कार्यक्रम के दौरान रोहित वेमुला की तस्वीर का उल्लेख करते हुए कहा कि रोहित वेमुला भी अपनी आवाज़ उठाना चाहते थे, लेकिन उनकी आवाज़ छीन ली गई. उनका यह बयान भारतीय समाज में कमजोर वर्गों की आवाज़ों को दबाए जाने के खिलाफ एक मजबूत संदेश था. राहुल गांधी ने यह भी कहा कि संविधान की मूल भावना को साकार करने के लिए हर नागरिक को अपनी आवाज़ उठानी चाहिए, चाहे उस आवाज़ को दबाने की कितनी भी कोशिशें की जाएं.