रांचीः ट्रांसजेंडर को ओबीसी में शामिल करने को लेकर सरकार के निर्णय पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व सदस्य सह मूलवासी सदान मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद ने सवाल उठाया है. श्री प्रसाद ने कहा कि ट्रांसजेंडर का मामला राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में लंबित है. आयोग के मंतव्य के बिना ओबीसी में शामिल करना असंवैधानिक व ओबीसी के अधिकारों से खिलवाड़ है. सरकार को इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए. श्री प्रसाद रविवार को पत्रकारों से बात कर रहे थे.
श्री प्रसाद ने कहा कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के मंतव्य लिए बिना ट्रांसजेंडर को ओबीसी में शामिल करना असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग एक संवैधानिक और वैधानिक संस्था है. सरकार संवैधानिक संस्थाओं को अनदेखी कर निर्णय लेती है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है.
उन्होंने बताया कि सरकार के कार्मिक विभाग के द्वारा ट्रांसजेंडर को ओबीसी में शामिल करने को लेकर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को एक पत्र पत्रांक 2413 दिनांक 11 अप्रैैल 2022 को लिखकर आयोग से मंतव्य मांगा गया था. कार्मिक विभाग के पत्र में भारत सरकार के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा ट्रांसजेंडर के मामले में कुछ सुझाव के आधार पर भारत सरकार ने झारखंड सरकार को एक पत्र भेजा था. इसी के आलोक में कार्मिक विभाग ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को पत्र लिखा था. इस पत्र के आधार पर इस मामले को आयोग के अध्यक्ष जस्टिस लोकनाथ प्रसाद ने मुझसे मंतव्य मांगा था. इसके बाद दिनांक 7 अप्रैल 2022 को जस्टिस लोकनाथ प्रसाद आयोग के अध्यक्ष की अध्यक्षता में बैठक बुलाई थी. जिसमें कार्मिक विभाग को भी बुलाया गया था और कार्मिक विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक शामिल हुए थे. दूसरी बैठक दिनांक 4 अगस्त 2022 को आयोग की ओर से बुलाई गई थी. लेकिन अध्यक्ष के तबीयत खराब होने के कारण बैठक को स्थगित कर दिया गया था. अभी यह मामला राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में लंबित है.
श्री प्रसाद ने कहा कि ट्रांसजेंडर को ओबीसी में शामिल करने को लेकर आयोग इस विषय पर विचार कर रहा था, कि झारखंड में ट्रांसजेंडर की कितनी आबादी है और किन क्षेत्रों में यह वास करते हैं? ट्रांसजेंडर का सर्वेक्षण और जांच करने पर आयोग में विचार विमर्श हुआ था. इसके अलावे भी किन-किन राज्यों में ट्रांसजेंडर को ओबीसी में शामिल किया या है या नहीं? इसकी भी रिपोर्ट मांगने को लेकर सरकार को सुझाव दिया गया था. इस संदर्भ में सरकार की ओर से अन्य राज्यों से बाद में कोई रिपोर्ट मंगायी गयी है या नहीं आयोग को जानकारी नहीं है. ऐसे में ट्रांसजेंडर को बिना जांच या आयोग से मंतव्य लिए विना ट्रांसजेंडर को ओबीसी में शामिल करना असंवैधानिक है. सरकार के इस निर्णय को पिछड़ी जातियों के अधिकारों से खिलवाड़ करने वाला बताया है. राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि सरकार को जल्दीबाज़ी नहीं करना चाहिए था बल्कि राज्य पिछड़ा आयोग के निर्णय व मंतव्य के बाद ही इस विषय पर सरकार को कोई निर्णय लेना चाहिए था.
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