प्रमोद कुमार
गुमला : स्वच्छ झारखंड स्वच्छ भारत के इस स्लोगन को मुंह चिढ़ाती यह तस्वीर गुमला नगर की है, जो हर महीने एक करोड़ 37 लाख रुपए खर्च करने के बावजूद साफ-सफाई की हकीकत बयां कर रही है. आने वाले दिनों में दीपावली व छठ जैसे पर्व हैं, इसके बावजूद स्थानीय लोग इसी गंदगी के बीच रहने और त्योहार मनाने को मजबूर नजर आ रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर गुमला नगर परिषद इसको लेकर जरा भी गंभीर नजर नहीं आ रही है.
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करोड़ों की मशीन खा रही जंग, 130 आउटसोर्स स्टाफ्स का सही इस्तेमाल नहीं
जानकारी के मुताबिक, गुमला नगर परिषद में पिछले दिनों करोड़ों रुपए खर्च कर सफाई के लिए मशीनों की खरीददारी की गई थी. लेकिन ये मशीनें नगर परिषद कार्यालय की शोभा बनी हुई हैं. जिसमें अब जंग भी लग रहा है. नगर परिषद में साफ-सफाई के लिए आउटसोर्स से 130 लोगों को काम पर रखा गया है, लेकिन इन्हें भी सही जगह पर सफाई के काम में नहीं लगाये जाने से इनका भी गलत इस्तेमाल ही हो रहा है. गुमला नगर परिषद में कुल वार्डों की संख्या 22 है. इन वार्डों में सफाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने से जगह-जगह कूड़े-कचरे का अंबार लगा हुआ है. बता दें कि नगर परिषद में आउट सोर्सिंग से नियुक्त महिला, पुरुष सफाई कर्मियों की संख्या 130 है. जिसपर प्रति माह एक मजदूर पर करीब 10 हजार रूपए खर्च किए जाते हैं. इस तरह महीने में एक करोड़ 37 लाख रुपए मानदेय के रूप में भुगतान किया जाता है.
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मार्च में जन प्रतिनिधियों का कार्यकाल हो गया खत्म, कार्यपालक पदाधिकारी के भरोसे पूरी व्यवस्था
पिछले मार्च महीने में नगर परिषद के लिए चुने गए जन प्रतिनिधियों का कार्यकाल पूरा होने के बाद पूरी व्यवस्था कार्यपालक पदाधिकारी के भरोसे है. इस संदर्भ में हमने कार्यपालक पदाधिकारी दिलीप कुमार से बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन पता चला कि साहब वीडियो कान्फ्रेंसिंग में व्यस्त हैं. बहरहाल, जो नगर परिषद लोगों से समय पर टैक्स की वसूली करता है उसी तरह समय पर सफाई करने की भी जरूरत है, ताकि स्वच्छता अभियान पर सवालिया निशान ना लग पाए.
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