Joharlive Desk
पटना । दूसरे प्रदेशों से बिहार में आने वाले लोग अब क्वारंटीन सेंटरों में नहीं रखे जाएंगे। सरकार की योजना 15 जून से सभी क्वारंटीन सेंटरों को बंद कर देने की है। इस बीच हालांकि डोर टू डोर स्क्रीनिंग जारी रहेगी और रेलवे स्टेशनों पर मेडिकल कैंप कार्यरत रहेंगे। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार ने बताया कि अब आपदा राहत केन्द्रों की संख्या कम हो रही हैं, क्योंकि ज्यादातर लोग अपने गंतव्य तक पहुंच चुके हैं। बिहार के विभिन्न शहरों में ठेला वेंडर, दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक एवं अन्य जरूरतमंद लोगों के भोजन, आवासन एवं उनकी स्वास्थ्य जांच के लिए वर्तमान में 53 आपदा राहत केंद्र कार्यरत है, जिससे लगभग 11,789 लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, “ब्लॉक क्वारंटीन सेंटर की संख्या अभी 11,581 है, जिसमें 5 लाख 26 हजार 768 लोग रह रहे हैं। अभी तक ब्लॉक क्वारंटीन सेंटर में कुल 14 लाख 3 हजार 576 लोग रह चुके हैं, जिसमें से 8 लाख 76 हजार 808 लोग क्वारंटीन की निर्धारित अवधि पूरी कर अपने घर जा चुके हैं।”
आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी कहते हैं कि बिहार आने वाले अधिकतम लोग वापस आ चुके हैं। 15 जून से क्वारंटँन सेंटर बंद करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि डोर-टू-डोर स्वास्थ्य निगरानी जारी रहेगी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व अस्पतालों में कोरोना को लेकर चिकित्सा सुविधाएं मौजूद रहेंगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य में तीन मई से ट्रेनों से मजदूरों के आने का सिलासिला जारी है। तीन मई के बाद 2,743 प्रवासी व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसमें महाराष्ट्र के 677, दिल्ली के 628, गुजरात के 405, हरियाणा के 237, उत्तर प्रदेश के 149 सहित अन्य राज्यों से आने वाले प्रवासी श्रमिक शामिल हैं।