Joharlive Desk
नई दिल्ली । केंद्र सरकार द्वारा लागू नये कृषि कानून के विरोध में किसानों का आंदोलन सोमवार को पांचवें दिन जारी है। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे प्रदर्शनकारी किसान नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसान नेताओं ने बताया कि विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों की कोर कमेटी की थोड़ी देर में बैठक होने वाली है जिसमें आगे की रणनीति तय होगी। उधर, प्रदर्शनकारी किसानों के बुराड़ी ग्राउंड आने के अगले ही दिन उनसे बातचीत करने के सरकार के प्रस्ताव को किसान नेताओं द्वारा ठुकरा देने के बाद रविवार को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के आवास पर इस सिलसिले में एक बैठक हुई जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद थे।
गृहमंत्री ने शनिवार को किसानों से दिल्ली के बुराड़ी ग्राउंड आकर प्रदर्शन करने की अपील करते हुए उन्हें आश्वासन दिया था कि बुराड़ी ग्राउंड शिफ्ट होने के दूसरे दिन ही भारत सरकार उनके साथ चर्चा के लिए तैयार है।
मगर, किसानों ने उनकी इस अपील को शर्तिया प्रस्ताव बताते हुए इसे मानने से इंकार कर दिया और दिल्ली की सीमाओं पर ही डटे रहने का फैसला लिया। किसानों का यह आंदोलन अब पांचवें दिन में प्रवेश कर गया है और इसका दायरा धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। किसानों के धरना-प्रदर्शन के चलते उत्तर भारत का मुख्य मार्ग जीटी रोड पर यातायात बाधित है। किसान नेताओं ने दिल्ली में प्रवेश करने वाले अन्य मार्गों को भी बंद करने का एलान किया है।
भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरेंद्र सिंह लाखोवाल ने आईएएनएस से कहा कि सभी किसान संगठनों ने फैसला लिया है कि वे यहीं (सिंघू बोर्डर) बैठे रहेंगे और आने वाले दिनों में दिल्ली की ओर जाने वाली अन्य सड़कों को भी जाम करेंगे।
मोदी सरकार द्वारा लागू तीन नये कृषि कानूनों में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन व कृषि सेवा पर करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 शामिल हैं। प्रदर्शनकारी किसान नेताओं का कहना है कि इन तीनों कानूनों से किसानों को कोई फायदा नहीं है, बल्कि इनका फायदा कॉरपोरेट को होगा, इसलिए वे इन्हें वापस लेने की मांग कर रहे हैं।