Joharlive Desk

नई दिल्ली। प्रवासियों के गांव लौटने के साथ पैतृक संपत्ति और खेती की जमीन को लेकर परिवार में झगड़े हो रहे हैं। उत्तरप्रदेश में 20 मई तक संपत्ति विवाद को लेकर 80,000 से अधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं।

लॉकडाउन के बाद लाखों मजदूर शहरों से पलायन कर गांव की ओर लौट गए। शहरों में काम-धंधा बंद होने के बाद उन्हें गांव जाना पड़ा लेकिन अब गांवों में नया विवाद खड़ा होता जा रहा है। दरअसल, मजदूरों के गांव लौटने के साथ घर और खेती की जमीन को लेकर विवाद पैदा हो रहा है। पैतृक संपत्ति को लेकर परिवारों में नया झगड़ा छिड़ गया है।

घनी आबादी वाले उत्तरप्रदेश में लाखों मजदूर लॉकडाउन लागू होने और उसके आगे बढ़ने के बाद अपने गांव की ओर लौट गए। हजारों लोगों ने गांव वापस लौटने के लिए परिवहन सेवा का सहारा नहीं मिलने पर पैदल ही जाने का फैसला किया तो कइयों ने साइकल और ट्रक के सहारे अपने गांव पहुंचने की कोशिश की।
मई महीने में सरकार ने मजदूरों के लौटने के लिए बस और ट्रेन सेवा चलाने का फैसला किया जिस कारण लाखों की संख्या में प्रवासी अपने गांव और कस्बे तक पहुंच पाए। शहरों में रहने वाले प्रवासियों के पास न तो खाने के लिए पैसे बचे थे और न ही वे मकान का किराया देने के लिए समर्थ थे। नया पलायन गांवों में सीमित मात्रा में मौजूद संसाधनों पर तनाव पैदा कर रहा है।

बलिया के रतसरकलां की प्रधान स्मृति सिंह कहती हैं कि वे गांव लौटने वाले करीब 1,000 लोगों को क्वारंटाइन करने और पारिवारिक कलह को निपटाने के बीच फंसी हुई हैं। स्मृति सिंह के मुताबिक संपत्ति को लेकर झगड़ा हर रोज हो रहा है। ये सभी मामले एक ही समान हैं। वे बताती है कि ज्यादातर घर लौटने वाले परिवार अपने रिश्तेदारों से पैतृक घर और संपत्ति को लेकर झगड़ा कर रहे हैं।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स को यूपी के 2 पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मई महीने की 1 से लेकर 20 तारीख के बीच पुलिस ने 80,000 से अधिक संपत्ति विवाद की शिकायतें दर्ज कीं। अप्रैल में 38,000 शिकायतें दर्ज की गई थीं। पुलिस का कहना है कि राज्य में जनवरी से लेकर मार्च के बीच घर के मालिकाना हक, व्यावसायिक संपत्ति और खेती की जमीन को लेकर 49,000 शिकायतें दर्ज की गई थीं। पुलिस अधिकारी ने बताया कि वे इन मामलों पर बोलने के लिए अधिकृत नहीं हैं। उसके मुताबिक ऐसे मामले और बढ़ेंगे, क्योंकि प्रवासियों का लौटना जारी है।

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