रांची: झारखंड में उत्पाद सिपाही भर्ती की शारीरिक परीक्षा में अब तक 11 अभ्यर्थियों की मौत हो चुकी है, जिससे राज्य में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. सरकारी पक्ष इस मुद्दे पर मौन है, लेकिन विपक्ष, विशेषकर एनडीए, ने सरकार पर जोरदार हमला बोला है.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी सरकार को इन मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कड़ी आलोचना की है. उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के जरिए सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए और इन युवाओं की मौत को “गैर न्यायिक और अमानवीय” करार दिया.
मरांडी ने लिखा, “उत्पाद सिपाही भर्ती परीक्षा के 500 सीटों की बहाली में 11 होनहार युवा अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं. ये सभी युवा अपने गरीब परिवार का सहारा थे, अपने मां–बाप की आंखों का तारा थे.” उन्होंने आगे कहा कि सामान्यतः भर्ती प्रक्रिया में पहले लिखित परीक्षा होती है, उसके पश्चात सफल अभ्यर्थियों की शारीरिक दक्षता का परीक्षण किया जाता है. लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बिना किसी तैयारी के, बेरोज़गारों को मात्र पन्द्रह दिनों का मौका देकर दौड़ का आयोजन कर 11 युवाओं की बलि ले ली.
मरांडी ने सरकार से न्यायिक आयोग के माध्यम से इन मौतों की जांच कराने की मांग की है और मृत युवाओं के परिवारों को 50-50 लाख रुपये का मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की अपील की है. उन्होंने सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि आगे किसी भी भर्ती में ऐसी मौतें न हों. इस मुद्दे पर सरकार की चुप्पी और विपक्ष के आक्रामक रुख से झारखंड की राजनीति गरमा गई है, और आगे इस पर गंभीर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं.