रांची : झारखंड में जल जीवन मिशन योजना के तहत टेंडर प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं की शिकायतों के बाद अब जांच शुरू होने वाली है. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इस संबंध में झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है, जिसके बाद मुख्य सचिव ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव को प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) के माध्यम से जांच करने का कार्य सौंपा है.

पीएमओ ने जताई है चिंता

पीएमओ ने 17 जनवरी से 31 मार्च 2023 के बीच जारी सभी 92 वर्क आर्डर में गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा किया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि टेंडर के माध्यम से वसूली की गई धनराशि पेयजल विभाग के मंत्री से लेकर क्लर्क तक के बीच वितरित की गई है.

क्या है पूरा मामला

जल जीवन मिशन के अंतर्गत मल्टी विलेज स्कीम (MVS) के तहत 780 करोड़ रुपये के टेंडर में पाया गया है कि केवल कागजी कार्रवाई के जरिए प्रबंधन किया गया है. 92 परियोजनाओं में केवल दो एजेंसियों ने भाग लिया, जिनमें से एक वास्तविक कार्य करने वाली थी, जबकि दूसरी केवल दिखावे के लिए थी. सभी 92 टेंडर पहले से ही प्रबंधित थे, जिससे करोड़ों रुपये की वसूली हुई. तत्कालीन अभियंता प्रमुख रघुनंदन शर्मा के निगरानी में यह प्रक्रिया हुई. उन्होंने अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए ज्वाइंट वेंचर (JV) कंपनियों का गठन कर कई कार्य आदेश जारी किए. हालांकि, कई जेवी कंपनियों के बैंक खाते भी नहीं खोले गए हैं और भुगतान व्यक्तिगत खातों में किया जा रहा है. जल जीवन मिशन योजना 2019 में शुरू हुई थी और इसका लक्ष्य दिसंबर 2024 तक पूरा करना है. झारखंड में कुल 62.30 लाख घर हैं, जिनमें से 33.18 लाख घरों में नल से जल पहुंच चुका है, जबकि 29.11 लाख घर अभी भी वंचित हैं. यह जांच राज्य में जल आपूर्ति में पारदर्शिता और सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण है.

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