हजारीबाग: 2 अक्टूबर का दिन हजारीबाग के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मौका है. यह दिन शारदीय नवरात्र की शुरुआत और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती का मेल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगमन इस ऐतिहासिक मौके को और भी खास बना रहा है. हजारीबाग जो शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है. यहां से पीएम मोदी झारखंड विधानसभा चुनाव के शंखनाद के साथ कई नई योजनाओं की घोषणा करेंगे.
1940 में हुआ था आंदोलन
1940 में यहां से शुरू हुआ उलगुलान आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन की नींव रखने वाला हजारीबाग एक नई उम्मीद की किरण देखने को तैयार है. पीएम मोदी के हजारीबाग पहुंचने के साथ झारखंड की भ्रष्ट सरकार को उखाड़ फेंकने की आवाज भी गूंजेगी. इस बार की चुनावी प्रक्रिया में झारखंड के लोगों को उनके अधिकारों, बेरोजगारी, किसानों के उत्थान और वंचित वर्गों के कल्याण के लिए नई योजनाओं की उम्मीद है.

झारखंड के लोगों के लिए यह अवसर केवल राजनीतिक परिवर्तन का नहीं, बल्कि उनके सपनों और आकांक्षाओं की पूर्ति का भी है. 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड की स्थापना एक नए सूर्योदय के समान थी. लेकिन समय के साथ-साथ कई चुनौतियां सामने आईं. अब जब झारखंडी अपनी अस्मिता और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, पीएम मोदी की योजनाएं उन्हें नई उम्मीद प्रदान कर सकती हैं.
आंदोलन की गवाह हजारीबाग की धरती
हजारीबाग की धरती, जो कई ऐतिहासिक आंदोलनों की गवाह रही है. अब एक बार फिर से विकास की गाथा लिखने को तैयार है. प्रधानमंत्री मोदी से उम्मीद की जा रही है कि वे झारखंड की मौजूदा समस्याओं को समझेंगे और राज्य को विशेष दर्जा देने की दिशा में कदम उठाएंगे. भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों में उत्साह का माहौल है. वहीं आम जनता की नजरें पीएम मोदी के इस दौरे पर टिकी हैं.

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