रांची: आईसीएआर के शताब्दी समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि जब मैं राज्यपाल रहते हुए अलग-अलग जिलों में भ्रमण करती थी. पलामू जिले में लोगों ने बताया था कि इसका नाम पलामू क्यों पड़ा. लोगों ने बताया कि पलाश, लाह और महुआ ये तीन चीजें इस जिले में मिलती है. इसलिए इसका नाम पलामू रखा गया है. उन्होंने कहा कि लाह के उत्पादन से कई तरह के काम किए जा रहे है. एसएचजी बहनों के साथ बात करने के दौरान पता चला था कि लाह और धान की खेती के साथ वे सब्जियां भी उगाती है. जो बहने सब्जियां भी उत्पादन करती है. उन्हें भी ये चीजें बताई जाए कि वे कैसे अपने सब्जियों को खराब होने से बचा सकती है. जिससे कि वे लंबे समय तक अपनी सब्जियों को सुरक्षित रखते हुए उसका कारोबार कर सकेगी. एक खुशी की बात है कि आज का दौर टेक्नोलॉजी का है लेकिन इसके दुष्प्रभावों से भी बचना है.

बड़ी आबादी खेती पर निर्भर

हम जानते है कि देश में आज भी खेती पर बड़ी आबादी निर्भर है. सरकार ने सहकारिता क्षेत्र में भंडारण योजना पर काम शुरू किया है. प्राकृतिक खेती और सप्लाई चेन के लिए काम किया जा रहा है. संसाधनों का बेहतर ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है. औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया जा सकता है. गांव में जब संसाधन उपलब्ध होंगे और आय बढ़ाने के उपाय किए जाएंगे तो लोग गांव नहीं छोड़ेंगे. जिन चीजों हम वेस्ट समझकर फेंक देते है. उसका भी दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है. संस्थान के वैज्ञानिक किसानों को इसकी ट्रेनिंग देंगे तो वेस्ट चीजों से भी कई चीजों के निर्माण किए जा सकते है. इससे पर्यावरण का संरक्षण भी होगा और किसानों की आय भी बढ़ेगी. उन्होंने आईसीएआर के अधिकारियों से कहा कि वे कई अन्य संस्थानों के साथ मिलकर भी उन्हें अपने अनुभव साझा करें. इससे कई तरह की योजनाओं पर काम किया जा सकता है.

झारखंड आना तीर्थ यात्रा की तरह

राष्ट्रपति ने झारखंड के प्रति अपने विशेष लगाव का इजहार किया. उन्होंने कहा कि झारखंड धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की मातृभूमि है. यहां आना उन्हें तीर्थ यात्रा की तरह महसूस होता है. उन्होंने कहा कि किसान लाह को 200 रुपये किलो बेचते हैं, लेकिन जब इसे पैकेजिंग के साथ बेचा जाता है तो इसकी कीमत हजारों में होती है. साथ ही कहा कि लाह जनजातीय समाज के लिए आय का मुख्य साधन है. उन्होंने लाह की मांग के बारे में भी बताया, जो फार्मास्यूटिकल और ब्यूटी प्रॉडक्ट्स के लिए बढ़ रही है. इसकी गुणवत्ता पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया. साथ ही उन्होंने बताया कि पीएम सामुदायिक केंद्र के माध्यम से किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास किए जा रहे है.

 

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