Joharlive Desk
नई दिल्ली । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 2020 को चार बड़े सबक देने वाला साल करार दिया है। उन्होंने कहा है कि वर्ष 2020 में सबने कई महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं। ये सभी सबक, पूरी मानवता के लिए उपयोगी साबित होंगे। आज की युवा पीढ़ी ने इन्हें भली-भांति आत्मसात किया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि पहला सबक रहा कि एक अदृश्य वायरस ने इस मिथक को तोड़ दिया है कि प्रकृति मनुष्य के अधीन है। जलवायु परिवर्तन की तरह, इस महामारी ने भी यह चेतना जगाई है कि विश्व-समुदाय के हर शख्स की नियति एक दूसरे के साथ जुड़ी हुई है। राष्ट्रपति ने मौजूदा संदर्भ में अर्थ-केंद्रित समावेशन से अधिक महत्व मानव-केंद्रित सहयोग को बताया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि ” दूसरा सबक यह है कि प्रकृति रूपी जननी की दृष्टि में हम सब एक समान हैं एवं अपने जीवन की रक्षा और विकास के लिए मुख्यत: अपने आसपास के लोगों पर निर्भर हैं। कोरोना वायरस मानव समाज की ओर से बनाए गए कृत्रिम विभाजनों को नहीं मानता है। इससे यह विश्वास पुष्ट होता है कि लोगों के पैदा किए गए हर प्रकार के पूर्वाग्रह और सीमाओं से हमें ऊपर उठने की जरूरत है। “
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीसरे सबक के तौर पर स्वास्थ्य-सेवा को और मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, सार्वजनिक अस्पतालों और प्रयोगशालाओं ने कोविड-19 का सामना करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के कारण गरीबों के लिए इस महामारी का सामना करना संभव हो पाया है। इसलिए, इन सार्वजनिक स्वास्थ्य-सुविधाओं को और अधिक विस्तृत और मजबूत बनाना होगा।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि ” चौथा सबक विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित है। इस वैश्विक महामारी से विज्ञान और टेक्नोलॉजी को तेजी से विकसित करने की आवश्यकता पर और अधिक ध्यान गया है। लॉकडाउन और उसके बाद अनलॉक की प्रक्रिया के दौरान शासन, शिक्षा, व्यवसाय, कार्यालय के कामकाज और सामाजिक संपर्क के प्रभावी माध्यम के रूप में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को अपनाया गया है। इस माध्यम से सभी भारतीयों का जीवन बचाने और कामकाज को फिर से शुरू करने के उद्देश्यों को, एक साथ हासिल करने में मदद मिली है। “
उन्होंने कहा, प्रौद्योगिकी की सहायता से, सरकारी और निजी क्षेत्रों के अनेक प्रतिष्ठानों द्वारा, सामान्य स्तर से कहीं अधिक कामकाज करके, अर्थव्यवस्था को गति प्रदान की गई है। हमने यह सबक सीखा है कि प्रकृति से सामंजस्य रखते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपनाने से हमारे अस्तित्व और विकास की निरंतरता को बनाए रखने में सहायता मिलेगी।