देवघर. पिछले 2 वर्षो से कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से भारत का सबसे बड़े मेले में शामिल श्रावणी मेला नहीं लग पा रहा था. वहीं इस वर्ष श्रावणी मेला के लिए तैयारियां जोर शोर से चल रही है. लगातार मंदिर का निरीक्षण के दौर चल रहा है. वहीं पब्लिक पुलिस के बीच आपसी तालमेल को बढ़ाने के लिए मंगलवार को जिला पुलिस और रैपिड एक्शन फ़ोर्स (RAF) के जवानों ने फ्लैग मार्च निकाला. पुलिस और रैपिड एक्शन फ़ोर्स (RAF) के जवान शहर के विभिन्न चौक चौराहा होते हुए देवघर टावर चौक पहुंचे और लोगों से बातचीत की. इस दौरान मौके पर उपस्थित देवघर एसडीओ पवन कुमार ने बताया कि यह फ्लैग मार्च पब्लिक पुलिस में आपसी समन्वय बैठाने और आसामाजिक तत्त्वों के लिए अलर्ट है कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में फ़ोर्स के द्वारा त्वरित करवाई की जएगी.

वहीं RAF के असिस्टेंट कमाडर विश्वजीत कुमार ने बताया कि श्रावणी मेला को लेकर 60 जवानों की 2 टुकड़ी फ्लैग मार्च कर रही है जिसमे पहली टीम देवघर और दूसरी टीम ने दुमका के बासुकीनाथ में फ्लैग मार्च किया. यह फ्लैग मार्च श्रावणी मेला के मद्देनजर किया गया है. लगातार 7 दिनों दिनों तक अलग अलग तरह से पब्लिक पुलिस आपसी समन्वय बैठाने का कार्य करेगी जिससे श्रावणी मेला में कोई परेशानी न आ सके.

बता दें, हर साल सावन के महीने में झारखंड के देवघर में बड़े स्तर पर श्रावणी मेला का आयोजन किया जाता है. लेकिन पिछले दो सालों से इस पावन पर्व पर कोरोना नाम का ग्रहण लगा हुआ था. हालांकि, साल 2022 शिवभक्तों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है. बताया जा रहा है कि इस साल देवघर में श्रावणी मेला का आयोजन धूमधाम से किया जाएगा. इसके लिए देवघर जिला प्रशासन राजकीय श्रावणी मेला-2022 की तैयारी में अभी से जुट गया है. बता दें कि सावन के महीने में दूर-दराज से लोग कांवड़ लेकर बाबा धाम  (देवघर)  पहुंचते हैं और भगवान भोलेनाथ को गंगा जल चढ़ाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

बाबा बैद्यनाथ का मंदिर 12 शिवलिंग में से एक है. इसे ‘बैद्यनाथ धाम’ के नाम से भी जाना जाता है. हर साल सावन के महीने में यहां विशाल मेला लगता है. दूर-दूर से लोग यहां बाबा को जल चढ़ाने आते हैं. बैद्यनाथ धाम की पवित्र यात्रा श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) में शुरू होती है. सभी श्रद्धालु सुल्तानगंज से पवित्र गंगा का जल लेकर लगभग सौ किलोमीटर की अत्यन्त कठिन पैदल यात्रा कर बाबा को जल चढ़ाते हैं. बाबा बैद्यनाथ का मुख्य मंदिर सबसे पुराना है जिसके आसपास अनेक अन्य मंदिर भी बने हुए हैं. बाबा भोलेनाथ का मंदिर माता पार्वती के मंदिर से जुड़ा हुआ है.

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