रांची: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने बुधवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रेस वार्ता पर पलटवार करते हुए कहा कि देश में इमरजेंसी के जरिए तानाशाही लागू करने वाली कांग्रेस के साथ सत्ता भोग रही है. झारखंड मुक्ति मोर्चा को आज वर्तमान सरकार में तानाशाही दिख रही है. प्रतुल ने कहा इमरजेंसी देश का सबसे काला अध्याय था, जब सभी संवैधानिक अधिकारों को सस्पेंड कर दिया गया था. लोगों को मीसा कानून के तहत बिना बेल के जेल में वर्षों तक रखा गया था. इसी काले कानून की याद में होकर लालू प्रसाद ने अपनी बेटी का नाम मीसा रखा था. आज वह भी इस इंडी गठबंधन में हैं.
इमरजेंसी के दौर में हुई नसबंदी को नहीं भुलाया जा सकता
प्रतुल ने कहा यह इमरजेंसी का ही दौर था जब राज्य और न्यायालयों की शक्तियों को संविधान में संशोधन करके छीनने का प्रयास किया गया था. इसी इमरजेंसी के दौर में सर्वोच्च न्यायालय के तीन वरीय न्यायाधीशों को सुपर सीड करके चौथे को मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया था. कहा झारखंड मुक्ति मोर्चा इमरजेंसी के नसबंदी के भी दौर को कैसे भूल सकती है जब कांग्रेस ने तानाशाही का क्रूरतम चेहरा दिखाया था. प्रतुल ने कहा कि आज कम से कम झारखंड मुक्ति मोर्चा ने स्वीकार किया कि कांग्रेस पार्टी तानाशाह प्रवृति की है.
डिंपल यादव के निर्विरोध चुने जाने पर सब ख़ामोश थे, सूरत के परिणाम पर प्रश्न क्यों?
प्रतुल शाहदेव ने कहा कि सूरत से भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध क्या निर्वाचित हो गए तो विपक्ष ने भूचाल खड़ा कर दिया और चुनाव आयोग पर ही प्रश्न खड़ा कर दिया. प्रतुल ने कहा उस समय इन दलों के नैतिकता कहां गई थी जब 2012 में डिंपल यादव कन्नौज से निर्विरोध चुनी गई थी. उनके खिलाफ खड़े दो प्रत्याशियों ने अंतिम दिन नामांकन वापस ले लिया था. इसके अतिरिक्त देश में 44 बार लोकसभा में प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए हैं. इस बार पूर्वोत्तर राज्यों में भी अनेक स्थानों पर विधानसभा के चुनाव में प्रत्याशी निर्विरोध चुने जा रहे हैं. उस पर सब खामोश है. सिर्फ सूरत पर सिलेक्टिव एजेंडा खड़ा किया जा रहा है.
500 वर्षों के बाद टेंट से बाहर निकले भगवान राम
प्रतुल शाहदेव ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा आज क्षत्रिय समाज के लिए घड़ियाली आंसू बहा रही है. क्षत्रिय समाज को अच्छे से स्मरण है कि 500 वर्षों तक रघुवंश के गौरव मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम को टेंट से बाहर निकाल कर भव्य मंदिर में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने ही स्थापित कराया. कांग्रेस ने तो इस मंदिर के निर्माण का विरोध किया था. इसके अतिरिक्त आज तक झारखंड मुक्ति मोर्चा के किसी भी बड़े सम्मेलन में झारखंड के अमर शहीद स्वतंत्रता सेनानी शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव या बिहार के बाबू कुंवर सिंह के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित नहीं की गई. बस चुनाव देखकर वोट बैंक की राजनीति के कारण इन्हें क्षत्रिय याद आ गए.
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