रांची. राजधानी रांची के जगन्नाथ मंदिर में मंगलवार को घूरती रथयात्रा के साथ भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा विधि विधान के साथ संपन्न हो गई. रथ यात्रा के आखिरी दिन मंगलवार की सुबह भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा और भ्राता बलभद्र की विधि विधान और पारंपरिक तरीके से पूजा की गई. सुबह 6 बजे महाआरती के बाद अन्न का भोग लगाया गया. उसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ के बाद मंदिर के पट को बंद कर दिया गया.

मंगलवार शाम 5 बजे दोबारा मंदिर के पट को खोला गया और इसके बाद भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा और भ्राता बलभद्र को वापस गर्भगृह ले जाया गया. इसके बाद भगवान जगन्नाथ स्वामी अपने भाई और बहन के साथ मुख्य सिंहासन पर विराजमान हो गए. शाम 7:30 बजे 108 की मंगल आरती भी हुई जिसके बाद अटका भोग लगाया गया.

मंदिर के मुख्य पुजारी रामेश्वर पाढ़ी ने बताया कि हरिशयनी एकादशी के विधान के अनुसार भगवान अब 4 महीने के लिए शयन मुद्रा में चले गए. ऐसे में 4 महीने तक मंदिर में वैवाहिक अनुष्ठान नहीं किए जाएंगे.

आपको बता दें कि 12 जुलाई को भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा की पूजन विधि शुरू हुई थी. हालांकि पिछले साल की तरह ही इस बार भी कोरोना संक्रमण को देखते हुए रथयात्रा और मेला निकालने की अनुमति नहीं दी गई थी. जिसके बाद रथयात्रा को लेकर तमाम परंपराओं को मुख्य मंदिर में ही पूरा किया गया था. मौसी बाड़ी में होने वाली पूजन विधि भी 9 दिनों तक मुख्य जगन्नाथ मंदिर में ही पूरी की गई.

आपको बता दें कि जगन्नाथपुर मंदिर न्यास समिति की ओर से झारखंड हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई होने के बाद कोर्ट ने इस संबंध में कोई भी फैसला राज्य सरकार पर छोड़ दिया था. जिसके बाद राज्य सरकार ने रथयात्रा की अनुमति संबंधी आवेदन को अस्वीकार कर दिया. जिसके बाद जगन्नाथपुर मंदिर में ही पुरी रथ यात्रा के धार्मिक अनुष्ठान को पूरा किया गया.

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