धनबादः जिले में पैसे की कमी से इलाज के अभाव में एक पोषण सखी के पति की मौत हो गई. उसका रो-रोकर बुरा हाल है. जिले की दूसरी पोषण सखियों की तरह ही उसे 11 महीने से मानदेय नहीं मिला था. इससे वह पति का उचित इलाज नहीं करा सकी. इस घटना के बाद पोषण सखी संघ का गुस्सा फूट पड़ा है. पोषण सखी संघ ने इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. संघ का कहना है यदि सरकार द्वारा 11 महीने के मानदेय का भुगतान किया जाता तो पोषण सखी उर्मिला के पति की जान बच सकती थी.
पोषण सखी संघ की प्रदेश अध्यक्ष सोनी पासवान ने बताया कि पिछले 11 महीनों से सरकार द्वारा पोषण सखियों के मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है. उर्मिला देवी के पति की दोनों किडनी खराब हो चुकी थी, जिसका इलाज सरकारी अस्पताल में चल रहा था. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यदि सरकार द्वारा वेतन का भुगतान किया गया होता तो उसके और ठीक से इलाज के लिए कहीं और भी ले जाया जा सकता था. इससे शायद उर्मिला के पति की जान बच सकती थी. सोनी पासवान ने कहा कि सरकारी अस्पताल में इलाज न करा कर उसका किसी अच्छे निजी अस्पताल में इलाज कराया जा सकता था. लेकिन पैसे के अभाव में उर्मिला के पति का इलाज नहीं हो सका, जिसके कारण उसकी मौत हुई है. संघ की अध्यक्ष ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों को इस मौत का जिम्मेदार ठहराया है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पोषण सखी को हटाने के लिए पत्र भी जारी कर दिया है. केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद राज्य सरकार पोषण सखियों से को लेकर कोई भी निर्णय नहीं ले पा रही है.सोनी पासवान ने कहा कि राज्य में कभी डबल इंजन की सरकार बनती है तो कभी सिंगल इंजन की. लेकिन सरकार के इस चक्कर में पोषण सखियां पिस रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिलाओं के बारे में मंच से बखान करते नहीं थकते हैं. लेकिन पोषण सखी का कार्य कर रही महिलाओं के बारे में प्रधानमंत्री आज विचार नहीं कर रहे हैं. सरकार अगर मांगों पर विचार नहीं करती है तो पोषण सखी संघ इसके लिए जोरदार आंदोलन करेगा. बता दे कि उर्मिला देवी के पति निशान कॉल कि दोनों किडनी खराब हो चुकी थी, जिसका इलाज SNMMCH अस्पताल में चल रहा था. शनिवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई है.