नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत सोमवार को हुई. सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परंपरा के अनुसार संसद के बाहर मीडिया को संबोधित किया. अपने संबोधन में पीएम मोदी ने इसे एक विशेष सत्र बताते हुए कहा कि यह देश के लोकतंत्र और संविधान के लिए ऐतिहासिक अवसर है.
संविधान के 75वें वर्ष का जश्न
प्रधानमंत्री ने कहा, “यह सत्र कई प्रकार से विशेष है. हमारे संविधान की 75 साल की यात्रा, 75वें वर्ष में उसका प्रवेश, लोकतंत्र के लिए एक उज्ज्वल अवसर है. संविधान निर्माताओं ने इसे बहुत मेहनत और चर्चा के बाद तैयार किया था. हमें इसकी गरिमा को बढ़ाने के लिए पूरी ईमानदारी से काम करना चाहिए.” पीएम मोदी ने सांसदों से संसद में स्वस्थ चर्चा और सकारात्मक बहस की अपील की. उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक स्वार्थ वाले लोग संसद की गतिविधियों को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं. पीएम ने कहा, “दुर्भाग्य से कुछ लोग, जिन्हें जनता ने नकार दिया है, वे संसद को अपनी हुड़दंगबाजी से नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं. यह लोकतंत्र और नए सांसदों के अधिकारों का अनादर है.”
प्रधानमंत्री ने नए सांसदों की ऊर्जा और विचारों को सराहते हुए कहा कि लोकतांत्रिक परंपरा में हर पीढ़ी को नई पीढ़ी के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहिए. उन्होंने कहा, “नए सांसदों के पास भारत को आगे ले जाने के लिए नए विचार और कल्पनाएं हैं. हमें उन्हें अधिक से अधिक अवसर देना चाहिए.” पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत को दुनिया भर में सम्मान की नजरों से देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि संसद के कामकाज में यह दिखना चाहिए कि भारत का लोकतंत्र और संविधान मजबूत और प्रगतिशील है.
सत्र से उम्मीदें
प्रधानमंत्री ने सत्र को संविधान के 75वें वर्ष की गरिमा बढ़ाने वाला और नए विचारों का स्वागत करने वाला बनाने की अपील की. उन्होंने कहा कि यह सत्र भारत की वैश्विक छवि को मजबूती प्रदान करेगा और भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा.