ईटानगर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अपने पूर्वोत्तर दौरे के दूसरे दिन अरुणाचल प्रदेश पहुंचे. यहां उन्होंने हजारों-करोड़ों की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया. इस अवसर पर पीएम मोदी ने ईटानगर में ‘सेला टनल’ का उद्घाटन किया. बता दें कि दुनिया के सबसे ऊंचाई (13000 फीट) पर बनी और दुनिया की सबसे लंबी डबल लेन सुरंग करीब 825 करोड़ रुपये की लागत से बनी है. सेला सुरंग प्रोजेक्ट में दो सुरंगें और 8.780 किमी लंबी सड़क शामिल है. डबल लेन वाली यह ऑल वेदर टनल अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामिंग और तवांग जिले को जोड़ेगा. एलएसी तक पहुंचने वाला यह एक मात्र रास्ता है.
पूर्वोत्तर की अपनी इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया. अरुणाचल प्रदेश में ‘विकसित भारत, विकसित नॉर्थईस्ट’ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि पूरे पूर्वोत्तर में चार गुणा तेजी से विकास कार्य चल रहा है. पूरे देश में विकसित राज्य से विकसित भारत का राष्ट्रीय उत्सव तेज गति से जारी है. आज मुझे विकसित पूर्वोत्तर के इस उत्सव में, पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के साथ एक साथ हिस्सेदार बनने का अवसर मिला है.
सेला टनल की अहमियत
वर्तमान में सेला दर्रे पर भारतीय सेना के जवान और क्षेत्र के लोग तवांग पहुंचने के लिए बालीपारा-चारीदुआर रोड का उपयोग कर रहे हैं. सर्दी के मौसम में अत्यधिक बर्फबारी के कारण सेला दर्रे में भयंकर बर्फ जम जाती है. इससे रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है. साथ ही, दर्रे पर 30 मोड़ आते हैं, जो बहुत ही घुमावदार हैं. इस कारण यहां आवाजाही पर पूर्ण रूप से बाधित हो जाती है. सफर के लिए कई-कई घंटों तक का इतंजार करना पड़ता है. इस दौरान पूरा तवांग सेक्टर देश के बाकी हिस्सों से कट जाता है. सेला दर्रा सुरंग मौजूदा सड़क को बायपास करेगी और यह बैसाखी को नूरानंग से जोड़ेगी. इसके साथ ही सेला सुरंग सेला-चारबेला रिज से कटती है, जो तवांग जिले को पश्चिम कामेंग जिले से अलग करती है.
सेला टनल की खासियत
सेला टनल 13,000 फीट से ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी डबल लेन सुरंग (सेला पास) है. ये अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में बनी है. डबल लेन वाली यह ऑल वेदर टनल अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामिंग और तवांग जिले को जोड़ेगा. एलएसी तक पहुंचने वाला यह एक मात्र रास्ता है. सेला टनल परियोजना में दो सुरंग और एक लिंक रोड शामिल है. पहली 1980 मीटर लंबी सिंगल-ट्यूब सुरंग है. और दूसरी सुरंग 1555 मीटर लंबी है. सुरंग-2 में ट्रैफिक के लिए एक बाइ-लेन ट्यूब और इमरजेंसी के लिए एक एस्केप ट्यूब है. दोनों सुरंगों के बीच लिंक रोड 1,200 मीटर है. सेला टनल, एप्रोच रोड और लिंक रोड सहित परियोजना की कुल लंबाई लगभग 12 किमी है. यानी सेला टनल में सुरंगों और लिंक सड़कों समेत परियोजना की कुल लंबाई करीब 12 किमी है. दोनों टनल सेला के पश्चिम में दो चोटियों से होकर आयीं हैं.
सेला टनल से आम लोगों को होगा फायदा
सेला टनल के कारण तेजपुर से तवांग तक यात्रा का समय कम से कम एक घंटा कम हो जाएगा और साथ ही हर मौसम में कनेक्टिविटी भी मिलेगी. फिलहाल, सर्दियों और भारी बर्फबारी के कारण सेला पास सर्दियों के महीनों के लिए बंद रहता है. सेला टनल सैन्य और नागरिक दोनों वाहनों के लिए लॉजिस्टिक्स को भेजने में मदद करेगा. अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) और तवांग सेक्टर के आगे के इलाकों में हथियारों और सैनिकों की तेजी से तैनाती की जा सकेगी. सुरंग तैयार होने के बाद साल के सभी 12 महीने सड़क खुली रहेगी. तवांग की स्थानीय आबादी अब मुख्य भूमि से नहीं कटेगी.