Joharlive Desk

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच अमेरिका में फाइज़र कंपनी के बनाए टीके को आनन-फानन में इस्तेमाल की मंजूरी मिली। हालांकि, फाइज़र का टीका एक बुरी खबर लेकर आया है। इसे लगाने वाले लोगों में एलर्जी की समस्या उम्मीद से ज्यादा आ रही है। अमेरिका में 30 करोड़ लोगों तक कोरोना वैक्सीन का टीका पहुंचाने वाले अभियान के ‘ऑपरेशन वॉर्प स्पीड’ के चीफ साइंटिफिक एडवाइजर डॉक्टर मॉन्सेफ ने यह जानकारी दी है।

डॉक्टर मॉन्सेफ ने बताया है कि फाइज़र-बायोनटेक की बनाई कोरोना वैक्सीन से लोगों में एलर्जी की समस्या देखी जा रही है जो कि उम्मीद से ज्यादा है। इस वैक्सीन से कुल आठ लोगों में एलर्जी की समस्या देखी गई है। इनमें से छह अमेरिकी हैं और दो यूके के हैं।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब एक दिन पहले ही अमेरिका ने फाइज़र के साथ कोरोना वैक्सीन की 10 करोड़ अतिरिक्त खुराक मुहैया करवाने के लिए डील की है। उन्होंने यह भी बताया कि नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ वैक्सीन निर्माताओं के साथ लगातार विचार-विमर्श कर रहा था कि वे अत्यधिक एलर्जिक लोगों में ट्रायल करने का सोचें, खासतौर पर एपि-पेन ऐंटी-एलर्जिक दवा लेने वालों में।

यूके में मेडिसिन ऐंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेग्युलेटरी एजेंसी (MHRA) ने पहले ही एडवाइजरी जारी कर लोगों को कहा था कि जिन लोगों को ज्यादा एलर्जी की समस्या रही है वे फाइज़र-बायोनटेक वैक्सीन न लें। अमेरिकी FDA ने भी ऐसी ही एडवाइजरी जारी की है।

फिलहाल एलर्जी के कारणों में सबसे ऊपर पॉलीइथाइलीन ग्लाइकॉल (पीईजी) कंपाउंड को माना जा रहा है, जो वैक्सीन के मुख्य अंश मेसेंजर RNA (mRNA) में मौजूद है। फाइज़र-बायोनटेक और मॉडर्ना की वैक्सीन में मौजूद पीईजी का इस्तेमाल इससे पहले कभी किसी वैक्सीन में नहीं किया गया है। हालांकि, यह कुछ दवाइयों में इस्तेमाल किया जाता है।

बता दें कि इसी महीने अमेरिका में लगातार बढ़ते कोरोना के मामले सामने आने के बाद आनन-फानन में खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) ने फाइजर की कोरोना वैक्सीन को अपनी मंजूरी दी गई थी। वैक्सीन एडवाइजरी समूह ने फैसला किया था कि फाइज़र का टीका 16 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों में सुरक्षित है। फाइज़र ने दावा किया था कि उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन 95 प्रतिशत से ज्यादा प्रभावी है।

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