धनबाद: झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह के नेतृत्व में झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव से रांची में मिला और अपनी परेशानियों से उन्हें अवगत कराया. संगठन की मांग थी कि उन्हें बिक्री कर विभाग को रिटर्न देना पड़ता है और इसका असेसमेंट भी कराना पड़ता है. जबकि उनके आइटम टैक्स पेड होते हैं. इससे पंप संचालकों को अलग परेशानी होती है. लुब्रिकेंट जीएसटी के दायरे में होते हैं और इसका रिटर्न पंप मालिक भरते है.

GST के अलावा बिक्री कर का भी रिटर्न भरवाया जाता है

पंप मालिकों से GST के अलावा बिक्री कर का भी रिटर्न भरवाया जाता है. एसोसिएशन के इस बात को वित्त मंत्री ने गंभीरता से लिया और जब उन्हें यह बताया गया कि बगल के बिहार ने कैबिनेट से इस आदेश को बदल दिया है. और पेट्रोल पंप मालिकों को सेल टैक्स से मुक्त कर दिया है तो वित्त मंत्री ने भी भरोसा दिया है कि इसकी पहल झारखंड में भी शुरू होगी. इस संबंध में उन्होंने संबंधित अधिकारियों से बात भी की. वित्त मंत्री से पंप मालिकों की यह शिकायत थी कि सरकारी स्तर पर उनसे तेल तो लिए जाते हैं, लेकिन ना करेंट राशि का भुगतान समय पर किया जाता है और न हीं बकाया राशि का भुगतान किया जाता है. इस पर वित्त मंत्री ने आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि सरकार के स्तर पर तो सभी जिलों को उनके डिमांड के अनुसार पैसा भेजा जा रहा है, फिर भुगतान क्यों नहीं हो रहा है. इसके लिए उन्होंने संगठन से कहा कि वह अब तक बकाया की सूची उपलब्ध कराए. भुगतान उन्हें हर हाल में समय पर किया जाएगा.

डीजल की बिक्री में 9% की कमी आई

एसोसिएशन ने मंत्री के सामने वैट का भी मुद्दा उठा. वित्त मंत्री ने कहा कि इस पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है. डाटा खंगाले जा रहे हैं. संगठन का कहना है कि झारखंड में जब रघुवर दास की सरकार थी तो 24 फरवरी 2015 से वैट को बढ़ाकर 22 परसेंट कर दिया गया था. जिसका नुकसान राज्य की जनता, पंप के मालिक और खुद राज्य सरकार भी उठा रही है. राज्य सरकार कैसे उठा रही है, इसे वित्त मंत्री को आंकड़े में बताया गया. वैसे पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस वित्तीय वर्ष में झारखंड में डीजल की बिक्री में 9% की कमी आई है. इस वजह से सरकार भी थोड़ी गंभीर है. पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन का दावा है कि अगर झारखंड में वैट 17% कर दिया जाए, तो बिक्री इतनी अधिक बढ़ जाएगी कि सरकार को राजस्व में भारी वृद्धि हो सकती है. संगठन इसकी गारंटी लेने को तैयार है.

पड़ोसी राज्यों की तुलना में झारखंड में ही सबसे अधिक वैट

एसोसिएशन का कहना है कि अगर वैट में कमी हुई तो बड़े कंज्यूमर, आउटसोर्स कंपनी, जो मुगलसराय और बंगाल से लगभग 26,000 किलो लीटर प्रति महीने तेल लाती हैं, झारखंड से खरीदने लगेंगी. इससे झारखंड की बिक्री में अप्रत्याशित वृद्धि होगी और सरकार को त्वरित लाभ होने लगेगा. फिर तो राजस्व खुद ब खुद अधिक हो जाएगा. वित्त मंत्री को यह भी बताया गया कि पड़ोसी राज्यों की तुलना में झारखंड में ही सबसे अधिक वैट है. झारखंड में 22%  है या 12.5 0 रुपया प्रति लीटर, जो भी अधिक हो, वैट लिया जाता है. इसके अलावे 1 रुपए प्रति लीटर सेस की भी वसूली की जाती है. जबकि बगल के बिहार में वैट की दर 16.37 प्रतिशत या 12.33 रुपए प्रति लीटर, जो अधिक हो, लिया जाता है. इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में 17. 8% या ₹10.41 रुपया प्रति लीटर, जो अधिक हो लिया जाता है.

वित्त मंत्री ने कार्रवाई का भरोसा दिया

पश्चिम बंगाल में 17% या 7.70 रुपए प्रति लीटर, जो अधिक हो, की दर से वैट की दर निर्धारित है. पड़ोसी राज्यों में विशेष कर डीजल सस्ता होने के कारण झारखंड के वाहन अथवा बड़े कारोबारी भी पड़ोसी राज्यों से ही डीजल मंगाने में विशेष रूचि रखते हैं. नतीजा होता है कि झारखंड में बिक्री कम हो जाती है और सरकार को राजस्व का नुकसान होता है. इसके ठीक पलट अगर झारखंड में वैट की दर 17% कर दी जाए तो बिक्री इतनी अधिक बढ़ जाएगी कि सरकार को राजस्व में अधिक वृद्धि होगी. वित्त मंत्री को बुधवार को संगठन ने डाटा देकर, यह सब बताया. वित्त मंत्री ने भरोसा दिया है कि बहुत जल्द ही इस पर कोई सकारात्मक निर्णय ले लिया जाएगा. प्रतिनिधि मंडल में प्रदेश अध्यक्ष के अलावा राजहंस मिश्रा, नीरज भट्टाचार्य,मासूम परवेज और अनूप संथालिया शामिल थे.

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