कोविड-19 महामारी के इस दौर में गंगा नदी में तैरती लाशों की रिपोर्टों से चिंतित एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इस प्रथा को रोकने की मांग की है। साथ ही याचिका में केंद्र, राज्य व स्थानीय स्तर पर तीन स्तरीय पैनल का गठन कर गरिमापूर्ण तरीके से शवों का निपटान सुनिश्चित करने की मांग की गई है।
वकील राज किशोर चौधरी के माध्यम से विनीत जिंदल द्वारा दायर इस याचिका में अथॉरिटी को शवों को हटाने और सभी नदी तटों की पारिस्थितिकी को बहाल करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में मिले तैरते हुए शव स्वास्थ्य और जीवन के मौलिक अधिकारों को प्रभावित करते हैं।
याचिका में गंगा नदी को एक पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने की मांग की गई है और इसे संरक्षित करने की मांग की गई है। इसके अलावा याचिका में अथॉरिटी को नदियों के किनारे रहने वाले लोगों को शुद्ध और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई है।
याचिका में अथॉरिटी को उन जगहों पर घर-घर जाकर कोविड-19 परीक्षण करने या टीकाकरण के लिए चिकित्सा शिविर आयोजित करने का निर्देश देने की मांग की गई है, जहां नदी के किनारे शव पाए गए। यह भी गुहार लगाई गई है कि ऐसे व्यक्तियों या अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने अंतिम संस्कार के नाम पर मोटी रकम वसूल की है।