रांची। झारखंड हाई कोर्ट में कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग की सचिव वंदना दादेल ने प्रतिशपथ पत्र दायर करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस संबंध में सभी प्रधान सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष, सभी विभागों, प्रमंडलीय आयुक्त और उपायुक्त को पत्र लिखा गया है।
कालेश्चर साव-बनाम झारखंड राज्य एवं अन्य तथा मणिबाला सिन्हा बनाम झारखंड में न्यायालय ने इस संबंध में आदेश किया था। इसके क्रियान्वयन के लिए छह अप्रैल को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक की गयी थी। इसके बाद ही यह आदेश जारी हुआ है। कार्मिक सचिव ने स्पष्ट कहा कि दायर प्रतिशपथ-पत्र तथा न्यायादेश स्पष्ट रूप से रखा जाये, एकरूपता होनी चाहिए। इसमें गलती करने वाले अधिकारियों पर प्रभावी कार्रवाई भी की जाये।
ये हैं दिशा-निर्देश
सचिवालय एवं संलग्न कार्यालयों में विभागीय सचिव, विभागाध्यक्ष से तथ्य विवरणी पर अनुमोदन प्राप्त कर अवर सचिव से अन्यून पद के पदाधिकारी द्वारा प्रतिशपथ पत्र दायर किया जाये।
विभागीय सचिव स्तर के ऊपर के पदाधिकारी का सामान्यता अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। अगर कोई स्पेसेफिक न्यायादेश हो तो उस परिस्थिति न्यायादेश के अनुरूप ही अनुमोदन प्राप्त किया जाये।
ऐसे मामले जो नीति मूलक हो तथा पूर्व निर्गत अधिसूचना, आदेश, संकल्प से आच्छादित न हो, ऐसे मामले में नीतिपूर्वक बिंदु पर विहित प्रक्रिया से तथ्यों को स्पष्ट कर सक्षम प्राधिकार से नीति निर्धारण करना आवश्यक होगा, ताकि अनावश्यक लिटिगेशन न बढ़े।
पे-स्केल के मामलों में तथ्य विवरणी पर वित्त विभाग की सहमति लेनी होगी।
जिला स्तरीय कार्यालय के मामले में जिस पत्र, आदेश, अधिसूचना के विरुद्ध वाद दायर किया गया हो, उस पत्र, आदेश, अधिसूचना निर्गत करने वाले पदाधिकारी से दो स्तर उच्च पद के पदाधिकारी से तथ्य विवरणी पर अनुमोदन प्राप्त कर लिया जाए।
प्रतिशपथ पत्र दायर करने के लिए अवर सचिव से अन्यून पद के पदाधिकारी को प्राधिकृत किया जाये। प्रतिशपथ-पथ के साथ तथ्य विवरणी अनुमोदित करने वाला पदाधिकारी ही प्रतिशपथ-पत्र दायर करने वाले पदाधिकारी को नामित करेंगे।