Joharlive Team
धनबाद। कोयलांचल में पीने के पानी के लिए लोगों को मीलों पैदल चलना पड़ता है। यहां तक कि बन्द पड़ी खदानों से लोग छान कर पीने का पानी निकालते हैं। ऐसे में अगर सड़कों पर पानी की बबार्दी हो तो समझ से परे है। पीने की पानी की बबार्दी को रोकने के लिए निकायों को ठोस पहल करनी है।सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए विशेष दिशा निर्देश दिए हैं। लेकिन धनबाद में पीने का पानी सड़कों पर बर्बाद हो रहा है।
धनबाद के बैंक मोड़ से सटे मटकुरिया इलाके में सड़क के किनारे से माडा की पानी की पाइप बिछाई गई है, ताकि लोगों को पीने का पानी नसीब हो सके। लेकिन पाइप एक नहीं बल्कि कई जगहों से लीक कर चुका है। जिसके कारण पानी सड़कों पर बर्बाद हो रहा है।यही नहीं सार्वजनिक कनेक्शन भी कई स्थानों पर लगाए गए हैं। कनेक्शन तो लगा दिए गए लेकिन कुछ स्थानों पर उनमें नल या टैप ही नहीं लगाए गए। यानि एक बार सप्लाई शुरू हुई तो पानी बाल्टी में जाए या सड़क पर, किसी को कोई मतलब नहीं है।
दूसरी ओर जहां भी सप्लाई की पाइप में टूट-फूट होती है तो इससी मरम्मत राम भरोसे ही है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि वो मरम्मत के लिए शिकायत करते-करते थक जाते हैं, लेकिन विभाग के हुक्मरानों की गहरी नींद कभी नहीं टूटती। कई दिनों तक पानी ऐसे ही बर्बाद होते रहता है। लेकिन शिकायत के बाद भी इसकी सुध लेने वाला कोई नही होता। ग्रामीण इलाके के लोगों का आरोप है कि ऐसी हालत में उनके लिए खदान का जल ही जीवन बन गया है। वो बंद पड़ी खदानों से पानी निकालते हैं, फिर उसे छानते हैं और उसे ही पीने या खाना बनाने लायक बनाते हैं।
पानी की बबार्दी रोके जाने के लिए नगर आयुक्त ने बताया कि टोल फ्री नम्बर उपलब्ध कराया गया है।जहां शिकायत मिलने पर उस पर तत्काल कार्रवाई की जाती है। साथ ही बैंक मोड़ से सटे मटकुरिया इलाके में हो रही पानी की बबार्दी पर उन्होंने कहा कि मटकुरिया व पुटकी समेत कुछ ऐसे स्थान है जहां पानी की लीकेज की समस्या है। कनीय अभियंता के से उन स्थानों का सर्वे भी कराया गया है। पीएचडी डिपार्टमेंट को इसकी मरम्मति के लिए लिखा गया है। साथ ही जिन स्थानों पर सार्वजनिक कनेक्शन हैं। वैसे स्थानों पर नल या टैप लगाने को कहा गया है।
उधर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधीक्षण अभियंता ने बताया कि सरकार के निर्देश के अनुसार अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप जलापूर्ति योजनाएं हैं।उन्हें उपभोक्ता समिति या ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति को सौंप दिया गया है। इस योजना का आॅपरेशन मेंटनेंस इनकी ही जिम्मेवारी पर है। दरअसल ग्राम जल स्वच्छता समिति में मुख्य रूप से स्थानीय लोग है और इसमें जल सहिया का अहम रोल है। हाउस कनेक्शन और रेवेन्यू कलेक्शन का काम जल सहिया के जिम्मे ही है। छोटे-मोटे लीकेज होने पर जल सहिया को ही देखरेख और मरम्मत करानी है। ज्यादा लीकेज होने पर टेक्निकल सपोर्ट के लिए जूनियर इंजीनियर को सूचना दी जाती है।
माडा के एमडी दिलीप कुमार से जब पानी की बबार्दी रोकने संबंधी उपायों के बारे में पूछा गया तो पहले उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार किया। फिर बाद में उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि माडा के तकनीकी अधिकारी इंद्रेश शुक्ला से जानकारी ले लें।जब हमने इंद्रेश शुक्ला से इस संबंध में बात की तो उन्होंने कहा कि पानी की बबार्दी रोकने और लोगों के इस संबंध में शिकायत के लिए एक आॅनलाइन व्यवस्था होनी चाहिए थी। लेकिन यहां कोई भी कार्य आॅनलाइन नही होता। हालांकि यही बात उन्होंने कैमरे पर बोलने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि आज के इस आधुनिक युग में हमारे कार्यालय में आॅनलाइन व्यवस्था नही है तो इतनी बड़ी बात मैं भला कैमरे पर कैसे कह सकता हूं।