रांची : आंखें हमारे शरीर का सबसे अहम अंग है. इतना ही नहीं इसका विशेष ध्यान रखने की जिम्मेवारी हमारी है. लेकिन काम का प्रेशर और भाग दौड़ भरी जिंदगी ने आंखों को बीमार कर दिया है. यहीं वजह है कि आज 100 में से 80 लोग कंप्यूटर विजन सिंड्रोम की चपेट में है. इतना ही नहीं कंप्यूटर के लंबे समय तक इस्तेमाल की वजह से लोग ड्राई आई सिंड्रोम से जूझ रहे है. इसके अलावा लोगों के आंखों का पावर माइनस में जा रहा है. ये बातें रविवार को आईरिकॉन में त्रिनेत्रालय कोलकाता के डायरेक्टर डॉ पार्थ विश्वास ने कही. उन्होंने कहा कि कंप्यूटर तो समय की जरूरत है. लेकिन इस बीच आंखों की सेहत का भी ख्याल रखना है. इससे पहले उन्होंने कहा कि सीएमई का उद्देश्य डॉक्टरों को नई तकनीकों से अवगत कराना है. जिससे कि झारखंड के लोगों को आंखों का इलाज कराने के लिए बाहर न जाना पड़े. मौके पर रिम्स के डायरेक्टर डॉ राजीव गुप्ता, आईरिस के डॉ सुबोध कुमार सिंह, डॉ सिराज अली डॉ चैत्रा जयदेव, डॉ आनंद विनेकर, डॉ मधुसूदन के अलावा अन्य मौजूद थे.

30 मिनट के बाद 30 सेकेंड रेस्ट

आंखों की सेहत को दुरुस्त रखने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाने की जरूरत है. इससे आंखें फिट भी रहेगी और लंबे समय तक काम करने के बावजूद थकावट नहीं होगी. डॉ पार्थो की माने तो 30 मिनट तक कंप्यूटर पर काम करने के बाद आंखों को 30 सेकेंड का रेस्ट जरूरी है. ऐसे में आंखों को बंद करके 30 सेकेंड आराम दे. इसके अलावा नार्मल पानी से आंखों को धोए. दिन में दो से तीन बार ऐसा करने से आंखों को राहत मिलेगी.

छह महीने में डायबिटीज टेस्ट जरूरी

डॉ पार्थो ने कहा कि पूरे भारत में डायिबटीज के मरीज तेजी से बढ़ रहे है.आने वाले कुछ सालों में इंडिया डायबिटीज कैपिटल के रूप में जाना जाएगा. इसका सीधा असर लोगों की आंखों पर पड़ता है. इसलिए सभी को हर छह महीने में अपना डायबिटीज टेस्ट कराना चाहिए. वहीं डॉक्टरों की एडवाइस पर 3 महीने या उससे कम समय में भी शुगर का चेकअप करा सकते है. इससे आंखों को नुकसान होने से पहले बचाया जा सकता है.

बच्चों को मोबाइल से दूर रखें

उन्होंने कहा कि हाल के कुछ सालों में मोबाइल का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है. ऐसे में लोग अपने बच्चों को क्रिएटिविटी और पढ़ाई के नाम पर घंटों तक मोबाइल का इस्तेमाल करने दे रहे है. लेकिन जाने-अनजाने वे बच्चों की आंखों को बीमार कर रहे है. इसलिए बच्चों को दिनभर में 2 घंटे से ज्यादा मोबाइल को देखने न दे. इसके अलावा आउटडोर एक्टिविटी के लिए उन्हें जरूर भेजे.

ये भी पढ़ें: तेनुघाट पंचायत में पल्स पोलियो अभियान शुरू, बच्चों को पिलाई गई दवा

Share.
Exit mobile version