धनबाद: ज़िले में हाल के दिनों में भू धंसान की घटनाएं बढ़ी हैं. अग्निप्रभावित क्षेत्रों में बारिश के समय भू धंसान की घटनाएं बढ़ जाने की बात जानकार बताते हैं. अब तक झरिया क्षेत्र में भू धंसान की घटना हो रही थी, लेकिन मंगलवार को नेशनल हाइवे 2 से महज़ 100 मीटर की दूरी पर ज़मीन धंसने की घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को परेशान कर दिया है, बल्कि किसी बड़े खतरे की सुगबुगाहट भी दी है. हालांकि ज़मीन धंसने पर यहां संबंधित खदान प्रबंधन ने भरवाई का काम शुरू कर दिया है, लेकिन यह नाकाफी माना जा रहा है और हज़ारों मालवाहनों के आवागमन वाले नेशनल हाइवे के लिए आशंकाएं जताई जा रही हैं.
निरसा थाना क्षेत्र के अंतर्गत शासनबड़िया मोड़ के पास जमीन धंसने पर गैस रिसने के पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि यहां लखीमाता कोलियरी के बंद ओसीपी में करीब 5 साल पहले भूमिगत आग लगी थी, जो तेज़ी से फैली थी. संभवत: इसी कारण अचानक सालों बाद 10 फीट के दायरे में ज़मीन धंसी और लगातार धुंआ निकलता देखा गया. खबर मिलने पर ईसीएल प्रबंधन ने मौके पर पहुंचकर आनन फानन में धंसी ज़मीन को भरने की कवायद शुरू कर दी, लेकिन यह समस्या का स्थायी हल नहीं है.
क्या और कितनी बड़ी है समस्या?
धनबाद ज़िले का यह नेशनल हाइवे झारखण्ड और बंगाल को जोड़ता है. यहां से रोज़ाना बड़ी संख्या में वाहनों का गुज़र होता है. अब चिंता की बात यह है कि हाईवे के इतने पास ज़मीन धंसने की घटना के चलते भविष्य में बड़े खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता. दूसरी तरफ, इस समस्या के अस्थायी हल को लेकर भी स्थानीय लोग चिंतित हैं. माडमा गांव के पास ओसीपी से निकल रही गैस को लेकर ग्रामीण पारस कुमार को चिंता है कि यह भराई ज़्यादा दिन नहीं टिकेगी और इस पर भी अंदेशा है कि यह कितनी सुरक्षित होगी.
वास्तव में, जहां ज़मीन धंसी है, वहां मिट्टी डालकर भराई की जा रही है, लेकिन बताया जाता है कि अंदर आग पूरी तरह बुझी नहीं है. अब जबकि लगातार बारिश हो रही है, तो भराई का ज़्यादा टिकना संभव नहीं दिखता है. इसी कारण बंद खदान के ऊपर ज़मीन धंसी भी है. हालांकि लखीमाता कोलियरी के प्रबंधक आरपी पांडे ने इस जगह को छाई गिराकर जेसीबी से भरना शुरू करवाया है, लेकिन स्थायी हल को लेकर किसी के पास फिलहाल कोई जवाब नहीं है. ज़मीन से जो गैस या धुआं निकल रहा है, उसकी दुर्गंध से आसपास के लोगों को मुश्किल तो हो ही रही है, पास के इलाकों समेत हाईवे तक खतरे की जद में बताए जा रहे हैं.