JoharLive Special

खूंटी। कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों! कवि दुष्यंत कुमार जी की ये पंक्तियां यूं तो दशकों पुरानी है, पर इसका सार अक्षय है। खूंटी जिले में बड़े पैमाने पर सामाजिक समावेशन के अंतर्गत ड्राइव के माध्यम से महिलाओं को जागरूक व संगठित करने का कार्य किया गया।

वर्तमान में सखी मंडल के तीन स्तर हैं, जिनमें स्वयं सहायता समूह, महिला ग्राम संगठन व महिला संकुल संगठन शामिल हैं। जेएसएलपीएस के अलावा राज्य की महत्वाकांक्षी योजना जोहार टपक सिंचाई योजना की जीआइसीए और जेएचडीएमआई महिला किसानों को संगठित कर महिला सशक्तीकरण की दिशा में सकारात्मक कार्य रहे हैं। ज़मीनी स्तर पर मौजूद कैडर इन परियोजनाओं के निर्वाहन में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं।

जोहार परियोजना के अंतर्गत अबतक दो उत्पादक कंपनी व 257 उत्पादक समूह का गठन किया जा चुका है। इन उत्पादक समूहों से जुड़कर लगभग आठ हजार महिलाएं अपने उत्पादों का सही मूल्य ले पा रही हैं। परियोजना के तहत 154 किसानों तक 25 डिसमिल के टपक सिचाई का सामान पहुंचाया जा चूका है व खूंटी जिला राज्य में सबसे अधिक संख्या में 764 किसानों को चिह्नित करने में सक्षम रहा है। महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना के अंतर्गत एक इमली प्रसंस्करण इकाई, एक आसवन इकाई, एक लाह प्रसंस्करण इकाई, एक चिरौंजी प्रसंस्करण इकाई व 559 कुकून(रेशम) प्रसंस्करण किसान महिलाओं के सतत विकास की ओर प्रेरित कर रहे हैं।

दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के अंतर्गत सुदूर क्षेत्रों की महिलाओं व बालिकाओं के कौशल वर्धन का कार्य किया जा रहा है। दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के तहत अब तक कुल 2458 गरीब व पिछड़े वर्ग के लोगों को पंजीकृत किया गया है।

इनमें से 1803 लोगों ने मुफ्त प्रशिक्षण प्राप्त किया है व 603 प्रशिक्षित अभ्यार्थियों को रोज़गार प्रदान किया गया है। विभिन्न गावों की महिलाऐं जेएसपएलपीएस में सक्रिय महिलाएं सीआरपी, आजीविका कृषक मित्र, आजीविका पशु सखी, आजीविका वनोपज्य मित्र, आजीविका मत्स्य मित्र, आजीविका रेशम मित्र, मास्टर बुक कीपर, टेबलेट दीदी, संवाददाता सखी आदि पेशों से जुड़कर अपनी आय में व्यापक वृद्धि करने में सक्षम रही हैं।

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