Joharlive Team
खूंटी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 10 जून से 15 अक्टूबर तक राज्य के सभी नदियों से बालू उठाव पर रोक लगाई है। इसके बावजूद झारखंड के खूंटी जिले में बालू माफियाओं का अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है. इसको लेकर जिला प्रशासन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली के आदेश के बाद राज्य के सभी बालू घाटों पर खनन और बालू उठाव पर पूर्णतया रोक लगाई गई है। इसके बावजूद खनन माफिया पर कोई असर नहीं हुआ है। खूंटी के रनिया प्रखंड क्षेत्र के सोदे नदी तोरपा प्रखंड क्षेत्र से कारो नदी, अड़की प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कांची नदी का करीब आधा भाग से बालू माफिया बेखौफ होकर दिनदहाड़े बालू का खनन कर रहे हैं। इसके साथ ही सरकार और प्रशासन को भी चुनौती दे रहे हैं, लेकिन प्रशासन इनपर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
खूंटी में जितने भी बालू घाट है, उसकी बंदोबस्ती नहीं हुई है. बंदोबस्ती के पहले से ही खनन माफिया नदियों से बालू का उठाव करते रहे है और रोक के बाद भी खनन कर रहे हैं। अवैध खनन की शिकायत विभाग के आला अधिकारीयों को भी है, लेकिन खानापूर्ति कर कार्रवाई बंद हो जाती है, जिससे माफियाओं का मनोबल बढ़ा हुआ है। इसका फायदा माफिया उठा रहे हैं। इस तरह के कार्रवाई से विभाग की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता. जिला प्रशासन के कार्रवाई के उस दावे का खंडन करने जब ईटीवी भारत की टीम जब कांची नदी पहुंची तो उस दौरान भी बालू उठाव धड़ल्ले से जारी था। मजदूर ट्रैक्टर पर बालू लोड कर नदी से कुछ ही दूरी पर ले जाकर डंप करते है, जहां से खनन माफिया बालू खपाते हैं।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल हर साल बालू उठाव पर पाबंदियां लगाता है, लेकिन पाबंदियां सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह जाता है। सवाल सरकार या प्रशासन से नहीं है, क्योंकि ग्राउंड पर कुछ और दिखता है, जबकि आदेशों में कुछ और होता है। बालू माफिया जिला प्रशासन को चुनौती देकर खुलेआम खनन कर मालामाल हो रहे हैं। बता दें कि एनजीटी नदी संरक्षण और मानसून को लेकर बालू उठाव पर रोक लगता रहा है। खूंटी एसडीओ तो कार्रवाई का दावा कर रहे हैं और उनका साफ कहना है कि सूचना के अनुसार विभिन्न स्थलों पर छापेमारी की जा रही है। प्रयास है कि जितने भी अवैध खनन के स्थल हैं वहां पर सूचना के बदा कार्रवाई की जाएगी।