पटना : पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा एससी, एसटी, ईबीसी और अन्य पिछड़े वर्गों को सरकारी नौकरियों में दिए गए 65 प्रतिशत आरक्षण को रद्द कर दिया है. मामले में दायर याचिकाओं पर 11 मार्च को सुनवाई हुई थी और हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसकी सुनवाई चीफ जस्टिस केवी चंदन की खंडपीठ ने की.
पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण बढ़ाने के मामले में 9 नवंबर 2023 को पारित कानून को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गई थी. हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं को स्वीकार करते हुए मामले की लंबी सुनवाई की और आज अपना फैसला सुनाया.
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में 65 प्रतिशत आरक्षण को रद्द कर दिया है. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कोर्ट में दलील दी थी कि सरकार ने यह आरक्षण जातिगत सर्वेक्षण के कारण नहीं बल्कि विभिन्न विभागों में पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व नहीं होने के कारण दिया है.
फिलहाल देश में 49.5% आरक्षण है. ओबीसी को 27%, एससी को 15% और एसटी को 7.5% आरक्षण मिलता है. इसके अलावा आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को भी 10% आरक्षण मिलता है. इस हिसाब से आरक्षण की सीमा 50 फीसदी को पार कर गई है. हालांकि नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को आरक्षण देने को सही ठहराया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह कोटा संविधान के मूल ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाता है. इससे पहले बिहार में भी आरक्षण की सीमा 50% ही थी.
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