रांची: रिम्स में इलाजरत ब्लैक फंगस की मरीज उषा देवी की रविवार सुबह मौत हो गई। उषा देवी को शनिवार को रिम्स में चिकित्सकों की टीम ने उनका आॅपरेशन किया था। इसके बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती करा दिया गया था। परिजनों ने रिम्स प्रबंधन और चिकित्सकों में इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था। परिजनों ने बताया कि वे उषा देवी को इलाज के लिए 17 मई को रिम्स लाए थे। उनका आरोप है यहां उनके मरीज का इलाज शुरू करने में 2 दिन लगा दिए गए। यहां डॉक्टर्स से गुहार लगाते रहे लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। इस पर उन्होंने मुख्यमंत्री से भी गुहार लगाई लेकिन रिम्स में चिकित्सकों ने ध्यान नहीं दिया। इस पर उन्होंने थक हार कर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद रिम्स निदेशक को चीफ जस्टिस ने कड़ी फटकार लगाई थी और बेहतर इलाज करने का निर्देश दिया था।

मृतका के बेटे गौरव गुप्ता ने बताया कि हाईकोर्ट की फटकार के बाद 2 दिन पहले रिम्स प्रबंधन की ओर से डॉक्टर की एक टीम ने उषा देवी का आॅपरेशन किया था, लेकिन आॅपरेशन के बाद भी उनकी जान नहीं बच पाई। उषा देवी के बेटे ने अस्पताल प्रबंधन और संबंधित डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। इधर उषा देवी की मौत को लेकर डॉ। सीके बिरवा ने बताया कि मरीज के सिप्टिसिमिया में चले जाने के कारण उषा देवी की मौत हो गई। शनिवार को आॅपरेशन किया गया था। इस दौरान आंख से अत्यधिक ब्लीडिंग हो गई थी। उनका ब्लड प्रेशर भी काफी लो हो गया था, जिसके कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका। रविवार को आईसीयू में उषा देवी ने अंतिम सांस ली।

रिम्स में इलाज में देरी और मां की पीड़ा के कारण उनके बेटे और परिजनों ने कुछ दिन पहले उषा देवी के लिए इच्छा मृत्यु की भी मांग की थी। बाद में स्वास्थ्य मंत्री ने मिलकर मदद करने और समस्या सुनने का वादा किया था। ब्लैक फंगस पीड़िता की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है। परिजनों का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण ही उनके मरीज की मौत हुई है। इसलिए हम कोर्ट और सरकार से यह मांग करते हैं की लापरवाही करने वाले चिकित्सकों पर कार्रवाई की जाए। उन्होंने न्यायिक जांच की मांग की है।

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