झारखंड

लोकतंत्र का डंका बजाने वाले पंकज को नक्सलियों ने मार डाला, अब कौन बनेगा हिंदियाकला के बिरहोरों की आवाज

पंकज बिरहोर ने ब्लॉग के जरिये उठाया था जनजाति समुदाय के विकास का बीड़ा

विकास की गाथा गढ़ने को व्याकुल नौजवान को नक्सलियों ने सुला दी मौत की नींद

चतरा : चतरा में चुनाव खत्म होने के बाद टीएसपीसी नक्सलियों ने पुलिस मुखबिरी के आरोप में बिरहोर जनजाति के दो लोगों की निर्ममता से हत्या कर दी. समाज के सबसे पिछड़े वर्ग से आने वाले नौजवान पंकज बिरहोर और उसके पिता की आवाज नक्सलियों ने हमेशा के लिए खामोश कर दी, लेकिन हत्या के पीछे सिर्फ मुखबिरी का आरोप नहीं बल्कि नक्सलियों की बौखलाहट है. बौखलाहट इस बात की थी कि पंकज ने घोर नक्सल प्रभावित चतरा-पलामू बॉर्डर पर स्थित हिंदियाकला जैसे पिछड़े गांव में लोकतंत्र को मजबूत करने का काम किया. पंकज बिरहोर गांव का इकलौता मैट्रिक पास युवक था. उसने विपरीत परिस्थितियों और पारिवारिक आर्थिक संकट के हालातों का सामना करते हुए मैट्रिक तक की पढ़ाई पूरी की थी. इस वजह से वो अपने गांव और समाज में युवा वर्ग के लिए आदर्श बन चुका था. पंकज सोशल साइट्स पर “पंकज हिंदियाकला”, “पंकज ब्लॉग” और “बिरहोर फैमिली ब्लॉग” के नाम से अलग-अलग पेज बनाकर समाज और इससे जुड़े कुरीतियों के प्रति लोगों को जागरुक करने में भी जुटा था.

जिला प्रशासन ने नियुक्त किया था स्वीप आइकॉन

यूट्यूब पर स्थानीय भाषा में बनाए गए पंकज के वीडियो को लोग खूब पसंद करते थे, लेकिन नक्सलियों को यह पसंद नहीं आया. उन्होंने पंकज की आवाज को हमेशा के लिए खामोश कर दिया.  अब कभी उस इलाके को लोगों को पंकज की मोटिवेशनल बातें सुनाई नहीं देगी. पंकज के इसी काबिलियत और सकारात्मक सोच को देखते हुए जिला प्रशासन ने न सिर्फ उसकी सराहना की थी, बल्कि उसे लोकसभा चुनाव 2024 में बिरहोर परिवारों के साथ-साथ आदिम जनजाति समुदाय से जुड़े लोगों में जनजागरूकता लाने के उद्देश्य से स्वीप आइकॉन भी नियुक्त था. वह विभिन्न वीडियो और सोशल साइट के माध्यम से लोगों को बढ़-चढ़कर मतदान करने के लिए जागरूक करता नजर आया था. पंकज के ऐसे कई वीडियो जिला निर्वाचन पदाधिकारी के विभिन्न सोशल साइट्स पर अपलोड हैं.

मौत सामने देख कर भी पंकज ने नहीं हारी हिम्मत

पंकज बिरहोर के जांबाजी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपनी आंखों के सामने मौत को देखने के बाद भी उसने हिम्मत नहीं हारी थी. न सिर्फ उसने जांबाजी से अपनी मौत का सामना किया बल्कि मरने से पूर्व उसने नक्सलियों को भी मुंहतोड़ जवाब देने की हिम्मत जुटाई. पंकज के बड़े भाई विधायक बिरहोर ने बताया जब 60-70 हथियारबंद नक्सलियों ने घर पर हमला बोला था तब घर में पंकज के अलावे उसकी पत्नी और बच्चों के साथ-साथ उसके वृद्ध पिता भी मौजूद थे. नक्सलियों ने पहले घर का दरवाजा तोड़ने का प्रयास किया था. जब दरवाजा नहीं टूटा तो वे छत पर चढ़कर छत तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश करने लगे. पंकज ने घर के अंदर से ही उनका भरपूर सामना किया. पूरी ताकत लगाने के बाद भी जब नक्सली अंदर नहीं घुस सके तो छत से ही पंकज और उसके परिवार वालों पर ईंट, पत्थर और टांगी से हमला शुरू कर दिया. यह देखकर पंकज ने घर का दरवाजा खोलकर खुद को नक्सलियों के हवाले कर दिया. लेकिन जब तक नक्सली उसे पकड़ पाते, तबतक उसने अपने हाथ में लिए टांगी से नक्सली दस्ते पर ही ताबड़तोड़ हमला बोल दिया. उसके हमले से कई नक्सलियों को भी गंभीर चोटें आई है. इसके बाद नक्सलियों ने पंकज को पकड़ लिया और उसकी बेरहमी से पिटाई करते हुए उसके आंगन में ही उसकी गोली मारकर हत्या कर दी.

पहली बार नक्सलियों ने बिरहोरों को बनाया निशाना

बिरहोर झारखंड की विलुप्तप्राय आदिम जनजाति है. इनके उत्थान और विकास को लेकर जिला प्रशासन और सरकार दर्जनों जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रही है. इन योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर जिले के डीसी से लेकर निचले स्तर के सरकारी कर्मी और जनप्रतिनिधि लगातार इन इलाकों का भ्रमण कर लोगों से सरकार की योजनाओं से जोड़ने में जुटे हैं. इसी के तहत जिले के पूर्व उपायुक्त अबू इमरान ने गांव का भ्रमण कर यहां रहने वाले 10 बिरहोर परिवारों के लिए बिरसा आवास योजना की स्वीकृति प्रदान की थी. इसके बाद पंकज और उसके भाई विधायक बिरहोर के देखरेख में ही गांव में आवास का निर्माण कार्य कराया जा रहा था.

नक्सली को पकड़कर किया था पुलिस के हवाले

आवास सेंक्सन होते ही टीएसपीसी नक्सलियों ने प्रति आवास दस हजार रुपये लेवी देने की मांग शुरू कर दी. नक्सलियों के हथियारबंद दस्ते ने लेवी की मांग को लेकर गांव में हमला भी किया था, लेकिन पंकज और उसके भाई के साहस और गांव वालों की एकता के कारण नक्सली गांव से खदेड़ दिये गये थे. इसी दौरान नक्सली दस्ते में शामिल एक नक्सली मंटू गंझू को हथियार के साथ दबोच कर पुलिस के हवाले भी कर दिया था. इसके बाद से ही टीएसपीसी उग्रवादियों ने पंकज और उसके भाई को टारगेट कर रखा था. और अंततः मौका देखते ही गांव पर हमला कर उसकी आवाज को खामोश कर दिया.

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