JoharLive Team
पाकुड़। जिले में 3.36 लाख लाभुकों के आयुष्मान भारत योजना के तहत गोल्डन कार्ड बनाए जा चुके हैं, लेकिन उनमें से अब तक महज 20050 लोगों को ही इलाज की सुविधा उपलब्ध हो पायी है। सदर अस्पताल सहित जिले के सभी पांच सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में योजना के तहत इलाज की सुविधा तय की गई है। इसके अलावा जिले के तीन नीजी अस्पतालों को भी इस योजना के तहत अधिकृत किया गया है, लेकिन सभी अस्पतालों, खासकर सरकारी अस्पतालों में इसके तहत मरीजों को कोई लाभ नहीं मिल पाता है। वजह डॉक्टरों की कमी। सदर अस्पताल सहित सभी चिकित्सा केंद्रों में गंभीर बिमारियों की कौन कहे साधारण बिमारियों का भी विधिवत इलाज नहीं हो पाता है। मरीज मंगल टुडू, खाबीर शेख आदि ने बताया कि सदर अस्पताल में सर्दी खांसी जैसी बीमारियों को छोड़ अन्य किसी बीमारी का इलाज नहीं हो पाता है। अन्य रोगों अथवा दुर्घटना के शिकार लोगों को इलाज के लिए तुरंत रेफर कर दिया जाता है। अधिकांश मरीज अस्पतालों की दुरावस्था के मद्देनजर यहां आने से बेहतर पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के अस्पतालों अथवा नीजी नर्सिंग होम का रूख करना ज्यादा पसंद करते हैं। इस संबंध में पूछने पर सिविल सर्जन डॉक्टर आर डी पासवान ने कहा कि उन्होंने हाल ही में योगदान किया है। पूरी जानकारी लेने के बाद ही कुछ कह सकते हैं। वहीं बकौल सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर एस के झा यहां संस्थागत प्रसव सहित अन्य रोगों के इलाज की सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन डॉक्टरों की कमी के चलते हम चाह कर भी नहीं कर पाते हैं। बावजूद उपलब्ध संसाधनों, डॉक्टरों व कर्मियों के भरोसे बेहतर चिकित्सा सुविधा देने का हर संभव प्रयास करते हैं।
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