रांची. झारखंड में एक और वित्तीय अनियमितता की जांच को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हरी झंडी दिखा दी है. झारखंड विधानसभा के नए भवन और झारखंड हाई कोर्ट के नए भवन के निर्माण के दौरान बरती गई वित्तीय अनियमितता की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो करेगी. रघुवर दास सरकार के कार्यकाल में बनी ये दोनों ही भवन टेंडर प्रक्रिया के दौरान से ही चर्चा में रही है.
प्राक्कलन राशि में बढोत्तरी का मुद्दा भी रघुवर दास सरकार के समय से ही चर्चा में रहा था. झारखंड विधानसभा के निर्माण के बाद चाहे वो आग लगने की घटना हो या सीलिंग गिरने का मामला, राजनीतिक गलियारों में घटिया भवन निर्माण का आरोप हमेशा से ही लगता रहा है. राज्य में नए सरकार के गठन के बाद भी खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इतने बड़े भवन की उपयोगिता को लेकर कई बार सवाल उठा चुके हैं. अब जबकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ACB जांच का आदेश दे दिया है तब राज्य के कई वर्तमान अधिकारी के साथ-साथ सेवानिवृत अधिकारी और कंस्ट्रक्शन कंपनी पर भी गाज गिरना लगभग तय माना जा रहा है.
झारखंड विधानसभा के नए भवन का निर्माण लागत शुरुआत में 465 करोड़ से घटाकर 323.03 करोड़ कर दिया गया था लेकिन वास्तुदोष का हवाला देते हुए क्षेत्रफल बदलकर फिर से राम कृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी को ही ये काम दे दिया गया. इस तरह कुल निर्माण राशि 136 करोड़ रुपये बढ़ गई. वैसे झारखंड विधानसभा को देखने के बाद हर किसी की निगाहें टिक ही जाती हैं लेकिन इसकी मजबूती और घटिया निर्माण को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं.
झारखंड विधानसभा के इस नए भवन का उदघाटन 12 सितंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. भव्य विधानसभा का पूरा परिसर 39 एकड़ में फैला है. इसी तरह झारखंड हाई कोर्ट के नए भवन निर्माण में भी शुरुआती प्राक्कलन राशि 265 करोड़ रुपये थी लेकिन जैसे- जैसे काम बढ़ता गया राशि भी बढ़ती चली गई. आपको जानकर ये हैरानी होगी की झारखंड हाईकोर्ट के इस नए भवन निर्माण में 697 करोड़ रुपये खर्च हो गए. भवन निर्माण में राशि बढोत्तरी के लिये अनुमति भी नहीं ली गई या यूं कहें की जरूरी प्रक्रिया को पूर्ण नहीं किया गया. झारखंड हाई कोर्ट का निर्माण भी रामकृपाल कंस्ट्रक्शन के द्वारा ही किया गया है.