रांची : झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के न्यायमूर्ति राजेश शंकर की कोर्ट ने मंगलवार को समरी लाल की (Samri Lal) याचिका स्वीकार करते हुए उनके पक्ष में फैसला सुनाया है. कोर्ट ने राज्य छानबीन समिति द्वारा समरी लाल के जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने को गलत करार दिया है. साथ ही राज्य छानबीन समिति द्वारा समरी लाल के जाति प्रमाण पत्र को खारिज किए जाने के आदेश को रद्द कर दिया है.
सरकार दोबारा प्रमाण पत्र की जांच करा सकती है
हाई कोर्ट (High Court) ने कहा कि सरकार दोबारा कमेटी बनाकर नियमानुसार समरी लाल के जाति प्रमाण पत्र की जांच करा सकती है. दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने 10 जनवरी को फैसला सुरक्षित रखा था. राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद एवं अधिवक्ता आशीष ठाकुर ने पैरवी की.
समरी लाल ने High Court में चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की थी
उल्लेखनीय है कि समरी लाल ने जाति प्रमाण पत्र निरस्त किए जाने को हाई कोर्ट (High Court) में चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की थी. उन्होंने कहा था कि कोर्ट के समक्ष जो दस्तावेज प्रस्तुत किया गया उसके अनुसार वे झारखंड के स्थायी निवासी हैं. उनके दादा 1928 में झारखंड आए थे.
वरीय अधिवक्ता अनिल सिन्हा एवं कुमार हर्ष ने पैरवी की
सर्किल इंस्पेक्टर और डीसी की रिपोर्ट में भी इसे बताया गया है. समरी लाल की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल सिन्हा एवं कुमार हर्ष ने पैरवी की थी. दूसरी ओर मामले में राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि समरी लाल के 1950 के पहले झारखंड में रहने का कोई दस्तावेज और अभिलेख नहीं है.