आर.के दूबे
रांची: झारखंड में विधानसभा चुनाव का विगुल बजने वाला है. सभी राजनीतिक दल अपने-अपने कार्यक्रम से जनता के बीच में जाकर झारखंड के विकास का रोड मैप बता रही है. राजनीति में एक ऐसे चेहरे का आगमन हुआ है जो काफी कम दिनों में उम्मीद से ज्यादा लोकप्रियता हासिल की है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की धर्मपत्नी सह गांडेय विधायक कल्पना सोरेन की वाकपटुता और कुशल कार्यक्षमता से विपक्ष सकते में है. श्रीमति सोरेन मईयां सम्मान यात्रा के माध्यम से लोगों के बीच पहुंच रही है. उनकी सभाओं में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री से कम भीड़ नहीं जुट रही है. कल्पना सोरेन हाल ही के दिनों में बीते लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रचार की कमान संभालती है. जहां-जहां उनकी सभा हुई परिणाम बदला हुआ नजर आया है. एक तरफ लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कुंबा झारखंड में लगातार चुनावी सभाओं में सक्रिय था. वहीं, दूसरी ओर जेएमएम की ओर से कल्पना सोरेन ने सैकड़ों जनसभाएं की. इंडी गठबंधन में कुल लोकसभा के 14 सीटों में पांच सीटों पर जीत दर्ज किया. वर्तमान स्थिति को देखें तो कल्पना सोरेन का विकल्प किसी राजनीतिक दल में नहीं दिख रहा है.
मईयां सम्मान यात्रा में दिख रही है लाखों की भीड़
मईयां सम्मान यात्रा की शुरुआत कल्पना सोरेन ने गढ़वा के वंशीधर मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद शुरुआत की. गढ़वा में रोड शो के दौरान लाखों महिलाएं उनको देखने और सुनने के लिए सड़कों पर खड़ी थी. वहीं, दूसरे चरण की यात्रा कोल्हान में थी, जहां जेएमएम से भाजपा में गए पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की विधानसभा सराईकेला में लोगों की भीड़ ऐसी उमड़ी की मानों सड़क ही मैदान में तब्दील हो गया. श्रीमति सोरेन भीड़ को देखकर अपने को रोक न सकी और गाड़ी के ऊपर बैठकर पार्टी का झंडा लेकर बैठ गई. यह नजारा देख लोगों ने कल्पना सोरेन का बढ़ चढ़ कर अभिवादन किया. कल्पना सोरेन का भाषण आम जनता पसंद कर रहे है. विपक्ष के पास इन सब का कोई काट नहीं दिख रहा है, जो कल्पना सोरेन का विकल्प बन सकें.
किचन से निकलकर चुनावी मैदान तक का सफर
कल्पना सोरेन एक वर्ष पूर्व तक राजनीति में सक्रिय नहीं थी. घर में बच्चों का देखभाल एवं घरेलू कामकाज में व्यस्त रहने वाली कल्पना सोरेन ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उन्हें राजनीति में आना पड़ेगा. लेकिन, परिस्थिति ने कल्पना सोरेन को किचन से चुनावी मैदान में निकलने को विवश कर दिया. वहीं, दूसरी ओर कल्पना सोरेन ने बच्चों को भी अपने पिता हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति का एहसास होने नहीं दिया. घर से निकलकर स्वंय चुनावी प्रचार कर गांडेय विधानसभा का चुनाव लड़ती है और भारी मतों से विजय हासिल करती है. यह राजनीतिक में आश्चर्य ही कहा जायेगा.