रांची : झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़ को माओवादी नक्सलियों से मुक्त कराने के लिए चलाए जा रहे ऑपरेशन ऑक्टोपस में सुरक्षाबलों की कामयाबी का सिलसिला जारी है. पिछले 2 दशकों में पहली बार सुरक्षाबल पहाड़ की चोटी पर जा पहुंचे हैं. गढ़वा जिले के एसपी अंजनी कुमार झा खुद इनके साथ हैं. झारखंड पुलिस का दावा है कि अगले कुछ दिनों में ही पहाड़ के चप्पे-चप्पे को नक्सलियों से मुक्त करा लिया जाएगा. नक्सलियों के पांव उखड़ गए हैं.

गौरतलब है कि, लगभग 55 वर्ग किलोमीटर में फैले इस दुर्गम पहाड़ पर नक्सलियों के टॉप लीडर्स पनाह लेते रहे हैं. इस बार पुलिस और सुरक्षाबलों ने झारखंड और छत्तीसगढ़ दोनों छोर से पहाड़ की घेराबंदी की है. सुरक्षाबलों का अभियान रोकने के लिए नक्सलियों ने लगातार सिरियल ब्लास्ट किए, लेकिन इस बार सधी हुई रणनीति के तहत हो रही कार्रवाई से नक्सलियों के पांव उखड़ गए हैं.

माना जा रहा है कि बूढ़ापहाड़ को फतह कर लेने से झारखंड के गढ़वा, पलामू, लातेहार और छत्तीसगढ़ के बलरामपुर सहित कई इलाकों में नक्सल समस्या पर काफी हद तक काबू पा लिया जाएगा.इस बार है पुख्ता प्लान बूढ़ा पहाड़ की चोटी पर पहुंचे अंजनी कुमार झा ने बताया कि पहाड़ पर सर्च अभियान जारी है. ज्यादातर नक्सली इलाके से भाग खड़े हुए हैं. 2 दिन पहले ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली थी. इस दौरान अलग-अलग तरह की कुल 106 लैंडमाइंस के अलावा एसएलआर की 350 गोलियां, 25 तीर बम, 500 मीटर कोडेक्स वायर सहित भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी.

अभियान में झारखंड और छत्तीसगढ़ पुलिस, सीआरपीएफ, जगुआर एसॉल्ट ग्रुप, आईआरबी और कोबरा बटालियन के जवान शामिल हैं. इस बार नक्सलियों से मुक्त कराए पहाड़ के आस-पास सुरक्षाबलों का स्थायी कैंप बनाए जाने की तैयारी है, ताकि दोबारा यहां नक्सलियों के पांव ना जम सकें. पहले भी चलाया जा चुका है अभियान झारखंड की राजधानी रांची से करीब 150 किलोमीटर दूर लातेहार के गारू प्रखंड के सुदूर गांवों से शुरू होने वाला ये पहाड़ इसी जिले के महुआडांड़, बरवाडीह होते हुए दूसरे जिले गढ़वा के रमकंडा, भंडरिया और दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ तक फैला है.

2018 में भी यहां सुरक्षाबलों ने बड़ा अभियान चलाया था. इस दौरान नक्सलियों के कई बंकर ध्वस्त किए गए थे. बड़े पैमाने पर नक्सली पकड़े भी गए थे. हालांकि, इस अभियान के दौरान सुरक्षाबलों को भी नुकसान हुआ था और 6 जवान शहीद हुए थे. लगातार टूटती गई नक्सलियों की कमर सुरक्षाबलों की नाकेबंदी के चलते वर्ष 2018 में बूढ़ा पहाड़ पर एक करोड़ के इनामी माओवादी अरविंद को बीमारी के दौरान बाहर से कोई सहायता नहीं मिल पाई थी और उसकी मौत हो गई थी. अरविंद की मौत के बाद सुधाकरण और उसकी पत्नी को बूढ़ा पहाड़ का प्रभारी बनाया गया था. सुधाकरण ने 2 वर्ष पूर्व तेलंगाना में पूरी टीम के साथ पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. सुधाकरण के आत्मसमर्पण के बाद बाद में एक दर्जन अन्य कमांडरों ने धीरे-धीरे आत्मसमर्पण कर दिया था.

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