साहिबगंज: रुपा तिर्की की मौत के आज एक साल पूरे हो गये हैं. 3 मई 2021 की शाम के लगभग 7 बजे के आसपास रुपा तिर्की का शव पुलिस लाइन स्थित सरकारी क्वॉर्टर में संदिग्ध अवस्था में मिला था. उस समय कोरोना की दूसरी लहर चरम पर थी. बैचमेट दारोगा के पुलिस कप्तान को जानकारी देने के साथ ही पुलिस महकमा में हलचल पैदा हो गयी. यह मामला शहर में चर्चा का विषय बना गया. रात को रांची से रुपा तिर्की की मां और बहन को बुलाया गया. कई आरोप प्रत्यारोप लगाए गए. मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा. परिजनों ने शहर के नामचीन लोगों के नाम हत्या से जोड़े थे. महिला थाना प्रभारी की मौत को लेकर आदिवासी समाज सड़क पर उतर गया था.
रांची में लगातार कैंडल मार्च निकालकर विरोध जताए जा रहे थे. सीबीआई से जांच की मांग की जा रही थी. एक समय ऐसा भी आया जब झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश के बाद सीबीआई जांच को मंजूरी दी गयी. पटना से चार सदस्यीय टीम साहिबगंज पहुंचकर मामले की तफ्तीश में जुट गई. रुपा तिर्की से जुड़े जिन जिन लोगों पर परिजन द्वारा आरोप लगे थे. उन सभी से सीबीआई की टीम ने पूछताछ की. वहीं रुपा तिर्की के दोस्त शिव कुमार कनोजिया मंडल कारा में बंद था.
उससे भी गहन पूछताछ की गई. बैचमेट दारोगा शिव कुमार कनोजिया और रुपा तिर्की के बीच हुई बातचीत का ऑडियो वायरल हुआ था. सीबीआई की टीम हजारीबाग से तीन बैचमेट और महिला दारोगा को साहिबगंज बुलाकर पूछताछ कर चुकी है. वहीं रांची पहुंचकर रुपा के परिजन से भी पूछताछ कर चुकी है. वहीं दिल्ली और पटना से सीबीआई की फॉरेंसिक जांच टीम पहुंचकर केस को रिक्रिएट कर चुकी है. सीबीआई की टीम तमाम केस को क्रॉस चेक कर रही है. रुपा तिर्की के पिता का ब्रेन मैपिंग कराने के लिए अनुमति पत्र भेजी जा चुकी है.
साहिबगंज महिला थाना प्रभारी रुपा तिर्की की मौत का मामला पूरे साल चर्चा में रहा. रुपा की न्याय की मांग को लेकर विपक्षी पार्टियां फेसबुक, ट्वीटर और मीडिया के माध्यम से सरकार पर हमला बोलती रही. मुख्यमंत्री के इर्द गिर्द रहने वाले लोगों के नाम भी रुपा तिर्की की हत्या से जोड़े गए. इस मामले में पूर्व एसडीपीओ पीके मिश्रा का भी एक ऑडियो वायरल हुआ था, जो रुपा से जुड़ा था. जिसे बाद में रांची मुख्यालय में बुला लिया गया था. रुपा तिर्की की मौत की जांच अभी चल रही है. अभी तक पुष्टि नहीं हो पाया कि मामला हत्या का था या आत्महत्या का. साहिबगंज की पुलिस टीम और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आत्महत्या करार दे दिया गया है, लेकिन आज भी रुपा तिर्की की मौत अनसुलझी पहेली बनी हुई है. झारखंड के लोगों को आज भी सीबीआई पर विश्वास है कि रुपा को न्याय मिलेगा.