• राजधानी रांची में हर दूसरे दिन हो रहा बलात्कार।
  • किसी भी पार्टी के मेनिफेस्टो में महिला सुरक्षा प्राथमिकता नहीं।

विवेक आर्यन
रांची : राजधानी के रिंग रोड स्थित संग्रामपुर में मंगलवार की शाम लॉ की छात्रा के साथ हुए दुष्कर्म पर रांची कि लोगों का गुस्सा उबाल पर है। कैंडल मार्च, विरोध प्रदर्शन और सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। लेकिन फिर भी महिला सुरक्षा झारखंड में चुनावी मुद्दा नहीं बन सका है। खासकर इस वक्त जब झारखंड में चुनाव चल रहे हैं और सभी पार्टियां अपने मेनिफेस्टो में राज्य के विकास के लिए वादे कर रहे हैं, तब भी राजनीतिक पार्टियों के मेनिफेस्टो से महिला सुरक्षा का मुद्दा गायब है।
आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में पिछले 4 सालों में लगातार रेप की घटनाएं बढ़ी हैं। 2016 में 1176, 2017 में 1338, 2018 में 1478 और 2019 के सितंबर तक 1350 दुष्कर्म के मामले सामने आए हैं। 2019 के आंकड़ों के हिसाब से झारखंड में हर 4:30 घंटे में एक बलात्कार होता है। अकेले रांची में 2019 के पहले 9 महीने में 148 बलात्कार का घटनाएं सामने आई हैं। इस हिसाब से रांची में हर दूसरे दिन एक बलात्कार हो रहा है।

बलात्कार की घटना पर नेताओं के ट्विटर से भी कोई बयान नहीं –
चुनाव के दौरान झारखंड के सभी नेता प्रचार प्रसार के लिए ट्विटर का इस्तेमाल कर रहे हैं। अपनी हर छोटी-बड़ी गतिविधियों को वे ट्विटर के माध्यम से लोगों तक पहुंचा रहे हैं। लेकिन अफसोस की बात है कि मुख्यमंत्री के साथ तमाम विधायक व विपक्षी नेताओं में से किसी ने रांची में बलात्कार की वीभत्स घटना पर एक भी ट्वीट नहीं किया है। हेमंत सोरेन ने ट्विटर पर और बाबूलाल मरांडी ने अपने फेसबुक पर बलात्कार से संबंधित सिर्फ एक पोस्ट किया है।

अपराध की घटनाओं में भी आगे बढ़ रहा है झारखंड –
बलात्कार के अलावा सामान्य अपराध भी झारखंड में अपने पैर पसार रहे हैं। झारखंड पुलिस की वेबसाइट से लिए गए आंकड़ों के अनुसार 2016 में 52625, 2017 में 54977, 2018 में 64493 और 2019 के पहले 8 महीने में 48072 अपराध की घटनाएं हो चुकी हैं। बढ़ते अपराध पर नियंत्रण के लिए भी किसी पार्टी की मेनिफेस्टो में कोई ठोस घोषणा नजर नहीं आई।

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