नई दिल्ली : 17 दिसंबर को लोकसभा में वन नेशन-वन इलेक्शन (एक देश, एक चुनाव) का संशोधन बिल पेश किया गया. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस बिल को पेश किया, जिसपर भाजपा ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि इससे देश में चुनावी प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाया जाएगा और विकास की गति तेज होगी, क्योंकि बार-बार चुनावों के कारण प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित होती है. इस कारण भाजपा ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया था.
कांग्रेस और विपक्षी दलों का विरोध
वहीं, विपक्षी दलों ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया है. कांग्रेस ने इसे संविधान के मूल ढांचे पर हमला करार दिया. पार्टी ने कहा कि यह विधेयक लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करेगा. समाजवादी पार्टी ने भी इसका विरोध किया, और सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि यह बिल तानाशाही की ओर इशारा करता है. तृणमूल कांग्रेस, आरजेडी, पीडीपी, शिवसेना उद्धव गुट और जेएमएम समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी इस बिल का विरोध किया है.
एनडीए को बसपा समेत इनका मिला साथ
इस विधेयक को भाजपा के सहयोगी दलों और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी समर्थन दिया है. जेडीयू, टीडीपी, वाईएआर कांग्रेस और बसपा इसके पक्ष में हैं, जबकि कांग्रेस, सपा, टीएमसी, आरजेडी, पीडीपी, शिवसेना उद्धव गुट और जेएमएम जैसे दल इसके खिलाफ हैं.
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बिल को बताया देशहित में
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस विधेयक को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह न केवल किसी एक पार्टी, बल्कि पूरे देश के लिए फायदेमंद है. उन्होंने आशा जताई कि कांग्रेस और विपक्षी दलों द्वारा इसे नकारात्मक रूप से प्रस्तुत करने के बावजूद, यह विधेयक देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
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