रांची: हिंदी दिवस के मौके पर कार्मिक प्रशासनिक और राजभाषा विभाग द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया. झारखंड मंत्रालय में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, सीएम के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, विनय कुमार चौबे सहित हिंदी जगत के जानेमाने कई ख्यातिप्राप्त विद्वान मौजूद शामिल हुए. इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों राजभाषा विभाग द्वारा आयोजित निबंध प्रतियोगिता में चयनित पवन कुमार, सुमित नीरज, मधु प्रिया हेमब्रेम को सम्मानित किया गया.
वहीं, लघुकथा प्रतियोगिता में चयनित आराध्या प्रिया प्रथम और पार्वती मरांडी को द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया. हिंदी दिवस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संबोधित करते हुए कहा कि जिस तरह तिरंगा हमारे लिए आन बान शान का प्रतीक है उसी तरह हिंदी है जिसको सम्मान दिया जाना चाहिए. कार्मिक प्रशासनिक और राजभाषा विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि जिस तरह से तिरंगा हमारे देश की पहचान है उसी तरह हिंदी भी देश की पहचान होनी चाहिए.
हिंदी दिवस समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा हिंदी भाषा देश के तिरंगे जैसा है जिसे सभी ने अपनाया है. उन्होंने कहा कि देश में कोई कहीं भी रहता और कोई भी भाषा बोलता हो लेकर तिरंगा सिर्फ एक भाषा बोलता है कि हम भारतीय हैं. मुख्यमंत्री ने भाषाओं पर हो रहे हमले पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आज देश दुनिया में प्रतियोगिता का दौर है, इसमें भाषाओं पर बड़ा आघात हो रहा है, चाहे हिंदी हो क्षेत्रीय हो या मातृभाषा.
लोग जीवित रहने के लिए इस आघात को भी सहने के लिए तैयार हैं. मुख्यमंत्री ने हिंदी के साथ क्षेत्रीय भाषाओं की उपयोगिता को रेखांकित करते हुए कहा कि किसी भी कार्य योजना को गति देने में भाषा और संवाद मददगार होती है. झारखंड सरकार के विभिन्न योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए हिंदी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषा की भी मदद ले रही है, क्योंकि झारखंड में आज भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां हिंदी बोलना और समझना लोगों के लिए मुश्किल है. इस अवसर पर राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने राजस्व अदालत में हिंदी का अधिकाधिक प्रयोग और फैसले हिंदी में देने को बहतर बताया.
मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि राज्य सरकार का ज्यादातर काम हिंदी में होता है, लेकिन दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ पत्राचार अंग्रेजी में होता है जिसे अब हम हिंदी में करने की कोशिश की जा रही है. वहीं इस मौके पर हिंदी के विद्वान अशोक प्रियदर्शी ने भी संबोधित किया और हिंदी के महत्ता पर प्रकाश डाला. वहीं जनजातीय समुदाय से आने वाली हिंदी कवियत्री जेसिंता केरकेट्टा ने अपनी लिखी गई कविता का पाठ किया और बताया कि लुप्त हो रहे जनजातीय संस्कृति को दूसरे देशों तक पहुंचाने में हिंदी काफी मददगार साबित हो रहा है.