Joharlive Desk

नई दिल्ली। भारत-चीन के बीच आल इज नाट वैल वाली स्थिति है। इसकी वजह है चीन की चालों का जारी रहना। इन्हीं चालों को नाकाम करने व सीमा पर दुश्मन को सबक सिखाने के लिए मोदी सरकार महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। वैसे चीन की हेकड़ी दूर करने और भारत का पूरी ताकत से साथ देने की तैयारी दुनिया के कई देश कर रहे हैं। अमेरिका ने हिंद महासागर में स्थित अपने दिएगोगार्शिया सैन्य अड्डे पर स्टील्थ बी-2 बमवर्षकों की तैनाती कर दी है। परमाणु हथियारों से लैस यह विमान दुनिया का अत्याधुनिक लड़ाकू विमान है। इसकी स्टील्थ कैपेबिलिटी इसे किसी भी रडार की पकड़ से बचाती है। विशेषज्ञों के अनुसार पूर्वी लद्दाख में तनाव बढ़ा रहे चीन के लिए भारतीय जमीन से पीछे हटने का अमेरिका की ओर से यह साफ इशारा है। उधर, पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब चीनी हेलीकॉप्टरों की गतिविधियों के जवाब में भारतीय सेना ने वहां महत्वपूर्ण ऊंचाई वाली जगह पर कंधे पर रखकर हवा में मार करने वाली एयर डिफेंस मिसाइलों से लैस जवानों को तैनात किया है। सूत्रों ने बताया कि रूसी मूल के इग्ला एयर डिफेंस सिस्टम से लैस भारतीय सैनिकों को सीमा पर महत्वपूर्ण ऊंचाई पर तैनात किया गया है। वे दुश्मन देश के हवाई जहाजों के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने पर उन्हें मुंहतोड़ जवाब देंगे।

रूसी मूल की वायु रक्षा प्रणालियों का उपयोग भारतीय सेना और वायुसेना दोनों द्वारा किया जाता है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब दुश्मन के लड़ाकू जेट या हेलिकॉप्टर तैनाती के करीब आ जाते हैं। भारत की ओर से दुश्मन की हवाई आवाजाही पर नजर रखने के लिए रडार और सतह से लेकर हवाई मिसाइल सिस्टम की तैनाती के जरिए निगरानी बढ़ा दी गई है।

दूसरी ओर चीन के साथ तनाव को देखते हुए हिंद महासागर में भारतीय नौसेना ने सामरिक दृष्टि से अहम स्थानों पर अपने पोत तैनात किए हैं। इसके साथ ही भारतीय नौसेना ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास पिछले महीने अमेरिकी और जापान की नौसेना के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास भी किया था। इसमें अमेरिका नौसेना का यूएसएस निमित्ज कैरियर स्ट्राइक समूह भी था, जो परमाणु हथियारों से लैस है। इस सैन्य अभ्यास में भारतीय नौसैनिक जहाज आइएनएस राणा और आइएनएस कुलिश शामिल हुए थे।

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