रांची : भारत के लोकपाल ने झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन को आय से अधिक संपत्ति की शिकायत से जुड़े मामले में 25 अगस्त को पेश होने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी (न्यायिक सदस्य) और सदस्यों महेंद्र सिंह और इंद्रजीत पी. गौतम की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के बाद 4 अगस्त को यह आदेश पारित किया है।
अपने चार पन्नों के आदेश में कहा है कि लोकपाल की विचाराधीन राय में धारा 20(3) के अंतर्गत शिबू सोरेन के खिलाफ कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि लोक सेवक के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रथम दृष्टया मामला है या नहीं।
लोकपाल अधिनियम की धारा 20(3) के तहत नोटिस जारी करने का निर्देश दिया ताकि वह व्यक्तिगत रूप से या अपने वकील के माध्यम से आरोपों का बचाव कर सके। साथ ही लोकपाल ने यह भी निर्देश दिया कि शिबू सोरेन को शिकायत की एक प्रति और सीबीआई की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट प्रदान की जाए।
सोरेन के खिलाफ 5 अगस्त, 2020 को शिकायत दर्ज की गई थी कि वह और उनके परिवार के सदस्य बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में शामिल हैं। उन्होंने झारखंड राज्य में सरकारी खजाने का दुरुपयोग करके, “आय के ज्ञात और घोषित स्रोतों और उनके नाम पर कई वाणिज्यिक और आवासीय संपत्तियां” के अनुपात में बड़ी संपत्ति अर्जित की है। लोकपाल की पूर्ण पीठ ने 15 सितंबर, 2020 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धारा 20 (1) (ए) के तहत मामले की प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया।
सीबीआई ने 1 जुलाई को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें शिबू सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों के नाम की सम्पतियों का विवरण भी संलग्न कर सौंपा है।
सीबीआई की रिपोर्ट के आलोक में भारत के लोकपाल की पूर्ण पीठ ने 29 जुलाई, 2021 को आदेश पारित किया कि प्रतिवादियों से टिप्पणियां/दस्तावेज मांगे जाने चाहिए। लोकपाल ने अपने आदेश में कहा है कि उसने अपना जवाब दाखिल करने के लिए कई मौकों पर शिबू सोरेन को समय दिया और आवश्यक दस्तावेज भी प्रदान किए गए। अंतत: इस साल 4 अप्रैल को जवाब दाखिल किया गया। लोकपाल ने सीबीआई को जवाब की जांच करने और जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। इस बीच राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन के सक्षम अधिकारी से टिप्पणियां मांगी गईं।
राज्य सभा सचिवालय के अतिरिक्त निदेशक ने सूचित किया कि शिकायत में लगाए गए आरोपों पर राज्यसभा के सभापति के पास कोई टिप्पणी नहीं है। सीबीआई ने 29 जून, 2022 को अंतिम प्रारंभिक जांच रिपोर्ट दायर की, जिसे लोकपाल ने काफी विस्तृत पाया।