Joharlive Team
टूरिस्ट मैप में झारखंड ने बनाई जगह, राज्य की कला-संस्कृति को देश-दुनिया में मिल रही है पहचान
रांची : प्रकृति ने झारखंड को समृद्ध बनाया है। यहां की धरोहरें इस राज्य को और विशिष्ट बनाती हैं. मुख्यमंत्री रघुवर सरकार ने झारखंड की इस ताकत को पहचाना है और पिछले साढ़े चार साल से राज्य को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का प्रयास हो रहा है. पर्यटन, कला-संस्कृति, खेलकूद और युवा कार्य विभाग के मंत्री अमर बाउरी ने आज सूचना भवन में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए ये बातें कही. उन्होंने कहा कि पर्यटन और कला संस्कृति विभाग राज्य को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रिप्रेजेंट करने का एक बड़ा माध्यम है. इस बात को ध्यान में रखकर पर्यटन और कला-संस्कृति को संरक्षित और विकसित करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं.
पर्यटकों की संख्या में दोगुना इजाफा, बढ़े रोजगार के अवसर
बाउरी ने बताया कि साढ़े चार साल में झारखंड आनेवाले पर्यटकों की संख्या में दोगुना इजाफा हुआ है। यह संख्या बढ़कर 3.54 करोड़ तक पहुंच गई है. इसमें विदेशी सैलानियों की संख्या लगभग 1.76 लाख है. आज राज्य के प्रमुख पर्यटक स्थलों में आवागमन, प्रवास, पीने का पानी, शौचालय और पर्यटकों की सुरक्षा समेत सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है. उन्होंने बताया कि पर्यटन ऐसा सेक्टर है, जहां कम निवेश में ज्यादा रोजगार का सृजन हो रहा है. झारखंड की बात करें तो पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र में 74.16 हजार लोगों को रोजगार मिला है. राज्य सरकार का पर्यटन के क्षेत्र में स्थानीय लोगों को रोजागार देने पर विशेष जोर है.
पर्यटक और सांस्कृतिक खेल महोत्सवों को राजकीय महोत्सव का दर्जा
बाउरी ने बताया कि राज्य के 132 पर्यटक स्थलों को अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राज्यस्तरीय और स्थानीय स्तर की श्रेणी में वर्गीकृत कर विकसित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि 8पर्यटक और सांस्कृतिक खेल महोत्सवों को राजकीय महोत्सव का दर्जा देकर भव्य आयोजन किया जाता है. इसमें ईटखोरी महोत्सव, छउ महोत्सव, बैधनाथधाम महोत्सव, लुगुबुरु महोत्सव, माघी मेला, हिजला मेला, मुड़मा मेला और बासुकीनाथधाम महोत्सव शामिल हैं. इसके आंतरिक अळावा, हुंडरु, जोन्हा और पंचघाग जलप्रपात के साथ नेतरहाट, बेतला, चांडिल डैम, पतरातू डैम, गेतलसूद डैम,कांके डैम और मैथन डैम पर समय-समय पर साहसिक पर्यटन उत्सवों का आयोजन किया जाता है.
श्रावणी मेला को मिला अंतर्राष्ट्रीय पहचान, पतरातू बना बेस्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन
बाउरी ने बताया कि वर्तमान सरकार द्वारा किये गए प्रयास का परिणाम है कि देवघर के श्रावणी मेला को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली है. यहां आनेवाले श्रद्धालुओं को विश्वस्तरीय सुविधाएं मुहैय्या कराई जा रही है. देवघर में मानसरोवर तालाब के किनारे क्यू कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है। देवघर में पर्यटन सुविधा और सौंदर्यीकरण का काम हुआ है. प्राकृतिक खूबसूरती का लबादा ओढ़े पतरातू डैम को इस तरह विकसित किया गया है कि यह पर्यटकों के लिए वर्तमान में सबसे बेस्ट डेस्टिनेशन बन गया है. नेतरहाट दर्शन के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं.
पर्यटन की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने की है तैयारी
पर्यटन मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत दलमा-चांडिल-गेतलसूद-बेतला, मिरचईंया,नेतरहाट ईको टूरिज्म सर्किट विकास हेतु 52.72 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. संथालों के धर्म स्थल लुगुबुरु के सौंदर्यीकरण, हुंडरु, दशम, जोन्हा जलप्रपात औऱ चतरा स्थित ईटखोरी को वृहत पर्यटन गंतव्य के रुप में विकसित करने की योजना है. इसके साथ चिन्हित किए गए 86 पर्यटक स्थलों पर पर्यटन सुविधाएं बढ़ाई जा रहीं हैं.
कला-संस्कृति को अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना लक्ष्य
बाउरी ने बताया कि झारखंड की कला-संस्कृति के संरक्षण और उसे राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. दुमका के मलूटी स्थित मंदिरों के संरक्षण का काम प्रगति पर है। रांची स्थित आड्रे हाउस के जीर्णोद्धार का कार्य पूर्ण हो चुका है. इसके साथ जिलों में शनि परब और सुबह-सबेरे जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. कला-संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए महोत्सवों का आय़ोजन होता है और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों को इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाता है.
खेल और खिलाड़ियों के विकास के लिए सरकार प्रतिबद्ध
बाउरी ने कहा कि खेल और खिलाड़ियों के विकास के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. सरकार की ओर से हर पंचायत में मैदान के साथ खेल सामग्रियां मुहैय्या कराई जा रही है. खिलाड़ियों के लिए आवासीय प्रशिक्षण केंद्र, डे बोर्डिंग सेंटर, सेंटर फॉर एक्सीलेंस और रांची के होटवार स्थित जेएसएसपीएस खेल एकेडमी में खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. उन्होंने बताया राज्य सरकार और सीसीएल के सहयोग से चल रहे जेएसएसपीएस खेल एकेडमी में दाखिले के लिए पिछले चार साल में 5, 48, 700 बच्चे भाग ले चुके हैं, जो यह दर्शाता है कि यहां खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. इसके साथ खिलाड़ियों को बेहतर प्रदर्शन एवं उनके मनोबल को बढ़ाने के लिए उन्हें सम्मान राशि और छात्रवृति भी सरकार दे रही है. सरकार का मकसद है कि खेलों की दुनिया में झारखंड एक बड़ी शक्ति बन कर उभरे.संवाददाता सम्मेलन में पर्यटन, कला-संस्कृति, खेलकूद और युवा कार्य विभाग के सचिव राहुल शर्मा, पर्यटन निदेशक संजीव कुमार बेसरा, खेल निदेशक ए के सिंह, सूचना एवं जन संपर्क निदेशक रामलखन प्रसाद गुप्ता समेत अन्य मौजूद थे.