रांची : एक जून को लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान होगा. झारखंड में संथाल परगना के तीन लोकसभा सीटों पर अंतिम चरण के रण के लिए इंडी और एनडीए गठबंधन ने पूरी ताकत झोंक दी है. झारखंड की राजनीति पूरी तरह संथाल शिफ्ट कर चुकी है. भीषण गर्मी के बीच संथाल का पॉलिटिकट पारा भी काफी बढ़ गया है. दुमका, राजमहल और गोड्डा लोकसभा सीट पर सभी पार्टियों के स्टार प्रचारक भीषण गर्मी में पसीना बहा रहे हैं. पीएम मोदी और अमित शाह, राजनाथ सिंह समेत कई केंद्रीय मंत्री संथाल में सभाएं कर रहे हैं. राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, कल्पना सोरेन समेत कई इंडी गठबंधन के भी कई नेता लगातार दौरे पर हैं. संथाल की तीन लोकसभा सीटों में से दो सीट दुमका और गोड्डा में भाजपा का कब्जा है, वहीं एक सीट राजमहल झामुमो के पास है. झामुमो इंडी गठबंधन के साथ मिलकर इन तीनों सीटों पर अपना कब्जा जमाने के लिए पूरी रणनीति के तहत काम कर रहा है. उधर भाजपा अपनी दोनों सीटिंग सीटों को बचाने के साथ-साथ राजमहल सीट पर कब्जा करने के लिए बेकरार है.

संथाल की 18 विस सीटों में से भाजपा के पास सिर्फ 4 सीटें

लोकसभा सीटों के हिसाब से संथाल में भाजपा मजबूत है, क्योंकि उसके पास दो सीटें हैं, लेकिन विधानसभावार स्थिति ऐसी नहीं है. संथाल के 18 लोकसभा सीटों में से सिर्फ 4 पर ही भाजपा का कब्जा है. बाकी सीटें इंडी गठबंधन शामिल दल झामुमो और कांग्रेस के पास है. सबसे अधिक 9 विधानसभा सीटें झामुमो के पास है, जबकि 5 विधानसभा सीट कांग्रेस के पास है. 2019 में जब लोकसभा चुनाव हुआ था उस वक्त संथाल के 18 में से 7 विधानसभा सीट भाजपा के पास थे. वहीं दो सीटें झाविमो के कब्जे में थी. कांग्रेस और झामुमो के पास सिर्फ 9 सीटें थी. उस वक्त भाजपा की संथाल में सभी पार्टियों से ज्यादा सीटें थी. यानी संथाल में भाजपा मजबूत थी. विधानसभाओं में मजबूती का फायदा भाजपा को मिला और उसने 3 में से 2 लोकसभा सीटें जीत ली, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में संथाल में भाजपा के पास सिर्फ 4 सीटें हैं. ऐसे में उसे जीत के लिए काफी संघर्ष करना पड़ेगा.

सीता और लोबिन से झामुमो को हो सकता है नुकसान

झामुमो के सामने संथाल में भीतरघात से बचने की भी बहुत बड़ी चुनौती है. चुनाव से पहले झामुमो विधायक सीता सोरेन ने पाला बदल लिया और वे भाजपा में शामिल हो गईं. भाजपा उन्हें दुमका से चुनाव लड़वा रही है. उधर झामुमो से बोरियो के विधायक लोबिन हेंब्रम भी पार्टी से बगावत कर राजमहल से चुनाव में खड़े हो गये हैं. इन दोनों नेताओं ने पूरी जिंदगी झामुमो की पिच पर बैटिंग की है और अच्छा स्कोर भी खड़ा किया है. लोकसभा चुनाव में इन दोनों के खड़े होने से दुमका और राजमहल सीट पर झामुमो को नुकसान हो सकता है.

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