रांचीः बिरसा जैविक उद्यान में दर्शकों को जेब्रा का दीदार फिलहाल नहीं हो सकेगा। जेब्रा के आने में देरी होगी। कोलकाता के अलीपूर जू से एक जोड़ा जेब्रा रांची लाने की योजना थी। लेकिन फिलहाल वो नहीं आ पाएगा। हालांकि, इसको लेकर प्रक्रिया पहले ही शुरू की जा चुकी थी। इस बारे में जू के निदेशक जब्बार सिंह ने जोहार लाइव को बताया कि चूंकि, जेब्रा अफ्रीका से आना है। लेकिन वहां जानवरों में फूट एंड माउथ बीमारी चल रही है, जिस वजह से अफ्रीकी सरकार द्वारा जानवरों को ले आने और ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जैसे ही प्रतिबंध हटेगा जेब्रा हमें मिल जाएगा। उन्होंने बताया कि जेब्रा अफ्रीका से कोलकाता आना था, वहां से झारखंड आना है। बदले में एक जोड़ा भालू और पांच सफेद मृग देने पर समझौता हुआ था। समझौते की जानकारी दोनों उद्यान प्रशासन द्वारा केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) को भी दे दी गई है।

क्या होती है फूट एंड माउथ बीमारी

फुट एंड माउथ एक संक्रामक रोग है। यह खासकर दूध देने वाले जानवरों के लिए अधिक हानिकारक होता है। पशुओं के जीभ और तलवे पर छालों का होना जो बाद में फटकर घाव में बदल जाता है। इस बीमारी के होने से जानवरों के दुग्ध उत्पादन में भी लगभग 80 प्रतिशत तक की गिरावट आ जाती है।

देश के गिने-चुने चिड़ियाघरों में है जेब्रा

भगवान बिरसा जैविक उद्यान में जेब्रा के आने ने पहले झारखंड में टाटा स्टील जुलॉजिकल पार्क टाटा में इजराइल के तेल अबीव से 2014 में जेब्रा लाया गया था। बिरसा जू में जेब्रा का इंक्रोजर 2008 में और आवास 2014 में बना था। जेब्रा नंदन कानन जू ओडिशा, संजय गांधी जू पटना, कोलकाता, दिल्ली और मैसूर आदि जू में है।

बिरसा जैविक उद्यान का मुख्य आकर्षण

बिरसा जैविक उद्यान का मुख्य आकर्षण वहां की हरियाली तो है ही, साथ ही वहां बसे जीव-जंतु भी हैं, जो 83 हेक्टेयर में बसा है। इनमें हाथी, सांभर, नील गाय, कोटरा, कृष्ण मृग, चीतल के अलावा सांप घर, दरियाईघोड़ा, मगरमच्छ, घड़ियाल, बन्दर, लकड़बग्घा, सियार, लोमड़ी, शेर, जंगली बिल्ली, तेंदुआ बिल्ली, साहिल, तेंदुआ, बाघ, शुतुरमुर्ग आदि शामिल हैं।

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