Joharlive Desk
गया. राम जन्मभूमि अयोध्या में प्रस्तावित भव्य राम मंदिर के निर्माण में अंत: सलिला फल्गु नदी के बालू (रेत) का उपयोग होगा।
बिहार में विश्वप्रसिद्ध ‘मोक्ष भूमि’ गया का रिश्ता अब सीधे भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या से जुड़ने जा रहा है। गया के जिस पवित्र नदी फल्गु के तट पर भगवान श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ पिता राजा दशरथ की आत्मा की मुक्ति के लिए पिंडदान किया था अब उसी अंतःसलिला फल्गु नदी की रेत को अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण में उपयोग किया जाएगा।
अयोध्या के भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए गया से बालू की खेप भेजने की तैयारी की जा रही है।
गया के विश्व हिंदू परिषद के विभाग अर्चक पुरोहित प्रमुख प्रेमनाथ टईया ने बताया कि परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय के साथ बातचीत के दौरान उन्हें यह जानकारी मिली कि मंदिर निर्माण में सात समुद्र का पानी, देश के सभी धार्मिक महत्व की नदियों का पानी, प्रमुख धामों की मिट्टी एवं फल्गु नदी के बालू का प्रयोग किया जायेगा।
श्री टईया ने बताया कि फल्गु का बालू लगभग एक माह पहले ही अयोध्या मंगवा लिया गया था। मंदिर की नींव में गया की चांदी की ईंट रखी जाएगी। मंदिर निर्माण की नींव में गयाधाम से सवा किलो चांदी की ईट भी भेजी जा रही है।
वहीं, समाजसेवी बृजनंदन पाठक ने कहा कि श्रीराम मंदिर कमेटी द्वारा फल्गु नदी की रेत को शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल करने की बात कही गई है। गंगा का पानी यदि मरने वाले व्यक्ति के मुंह में चला जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है लेकिन फल्गु नदी का जल यदि किसी व्यक्ति के पैर में लग जाए या फल्गु नदी के जल से तर्पण किया जाये तो कई पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है। ऐसे में फल्गु नदी गंगा से भी ज्यादा पवित्र है। स्वयं भगवान विष्णु फल्गु नदी के रूप में गया में विराजमान हैं।