Ranchi : “घर में कमाने वाली मां थी। वह साल 2009 में ही चल बसी। उम्मीद थी कि उसकी जगह अनुकंपा पर रांची नगर निगम में मुझे नौकरी मिल जायेगी। मां को गुजरे 16 साल बीत गये, पर नौकरी नहीं मिली। नौकरी तो छोड़िये, पेंशन तक नहीं मिल रहा। कई दफा निगम के अफसरों के पास जाकर नौकरी के लिए मिन्नतें की, पर कहीं कुछ नहीं हुआ। आज होगा, कल होगा, काम हो रहा है… बस अधिकारी यह बोलकर टरकाते रहते हैं। अप हमलोग के सब्र का बांध टूट चुका है। नहीं चाहते हुए भी हमलोग को प्रदर्शन करना पड़ रहा है। अगर निगम नौकरी दे देता तो यह नौबत नहीं आती।” यह कहना है रांची नगर निगम के बाहर धरना प्रदर्शन कर रही आश्रित सोनिया कच्छप का। सोनिया ने कहा कि इंतजार में उम्र बीतते जा रही है, पर निगम के अधिकारी मौनी बाबा बने हुए हैं।
वहीं, प्रदर्शन कर रहे कार्तिक उरांव ने कहा कि उनके पिता का देहांत साल 2010 में हो गया था। उन्हें भी निगम से नौकरी की उम्मीद थी, पर आस टूट गयी। कार्तिक ने कहा कि पारिवारिक पेंशन के तौर पर महज 200 से 300 रुपये मिलते हैं। आज की तारीख में इस रकम से क्या होता है। नौकरी मिल जाती तो कई परिवारों का भला हो जाता।
इधर, प्रदर्शन कर रहे आश्रितों की अगुआई कर रहे नरेश राम ने बताया कि तीन आश्रितों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिसके बाद हाई कोर्ट ने तीनों आश्रितों को तत्काल पेंशन शुरू करने का आदेश निगम को दिया था। हाई कोर्ट के आदेश के बाद हाई कोर्ट की शरण में गये तीनों आश्रितों को पेंशन मिलने लगा, पर बाकी लोगों की अर्जी पर कोई सुनवाई निगम में नहीं हो रही।
वहीं इस मामले को लेकर नगर निगम के अपर प्रशासक संजय कुमार ने कैमरे पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. उन्होनें बस इतना कहा कि काम हो रहा है, वक्त आने पर मीडिया को बता दिया जायेगा.
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