JoharLive Desk

नई दिल्ली: अब घरों में साफ-सफाई और खाना बनाने का काम करने वाले व ड्राइवरों को भी पीएफ योजना का लाभ मिल सकेगा। श्रम मंत्रालय जल्द ही कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से जुड़े कानून में बदलाव करने के लिए प्रस्ताव को तैयार कर रहा है। इस कानून में संशोधन के बाद इसको पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अभी जो व्यवस्था है उसके हिसाब से कंपनियों व सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारियों को ही पीएफ योजना का लाभ मिलता है। इसके दायरे में अन्य लोग जैसे कि स्व-रोजगार करने वाले लोग शामिल नहीं होते हैं।
सरकार ने हाल ही में पीएम श्रम योगी मान धन पेंशन योजना को शुरू किया था। अब वो ऐसे लोगों के पीएफ खाते खोलकर उनसे अंशदान भी कराना चाहती है। हालांकि इसके लिए 12 फीसदी की सीमा को नहीं रखा जाएगा। इससे यह भी पता चल सकेगा कि कितने लोग इस तरह से अपनी जीविका चलाते हैं। हालांकि इस खाते में अंशदान करना जरूरी नहीं होगा। लोग अपनी सहमति से ऐसा कर सकेंगे। अभी देश में कुल 6.5 करोड़ पीएफ अंशधारक हैं, जिन्होंने ईपीएफओ में 10.5 लाख करोड़ रुपये जमा कर रखा है।
फिलहाल कंपनियों में कार्यरत कर्मचारियों और उनके नियोक्ता को 12-12 फीसदी राशि का अंशदान करना होता है। वहीं बीड़ी, ईंट, ज्यूट, कॉयर जैसे उद्योग में कार्यरत लोगों को 10 फीसदी का अंशदान करना होता है। इसके अलावा बीमारू और घाटे में चल रही कंपनियों पर भी यह नियम लागू होता है। प्रत्येक कंपनी या फिर संस्थान जिसमें 20 से ज्यादा लोग कार्यरत हैं, उनको ईपीएफ एक्ट के दायरे में लाया जाता है। कर्मचारी ईपीएफओ या फिर नेशनल पेंशन स्कीम में से किसी एक को चुन सकते हैं।
संगठन ने कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के तहत पेंशन की राशि में कुछ हिस्सा एक मुश्त लेने की व्यवस्था (कम्युटेशन) फिर से बहाल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
इस कदम से उन पेंशनभोगियों को लाभ होगा जिन्होंने कम्युटेशन व्यवस्था का विकल्प चुना था और 2009 से पहले सेवानिवृत्ति पर एक मुश्त राशि प्राप्त की थी। इसके बाद ईपीएफओ ने 2009 में इस प्रावधान को वापस ले लिया था।
‘कम्युटेशन’ व्यवस्था के तहत सामान्य रूप से मासिक पेंशन में अगले 15 साल की एक तिहाई राशि की कटौती की जाती है और यह राशि पेंशनभोगी को एक मुश्त दे दी जाती है। उसके 15 साल बाद पेंशनभोगी पूरी पेंशन पाने का हकदार हो जाता है।

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