श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए नई चुनौतियों का संकेत दे रहे हैं. चार निर्दलीय विधायकों के उमर अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस को समर्थन देने के बाद कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो गई है. इससे पहले, कांग्रेस ने कुछ सीटें जीती थीं, लेकिन अब स्थिति ऐसी हो गई है कि पार्टी को अपने विधायकों के लिए बेहतर मोलभाव करने में कठिनाई हो सकती है.

अपने विधायक खोने का भी डर

कांग्रेस की चूक एक बार फिर उजागर हुई है. अगर पार्टी समय रहते सक्रिय होती, तो संभवतः ये निर्दलीय विधायक उसके साथ हो सकते थे. अब सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस अपने विधायकों को सरकार में उचित पोजीशन दिला पाएगी. निर्दलीय विधायकों ने उमर अब्दुल्ला के साथ खड़े होकर सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत जुटा लिया है. यह स्थिति कांग्रेस के लिए चिंताजनक है, क्योंकि अगर पार्टी अपने विधायकों को प्रभावी स्थान दिलाने में असफल रही, तो उन्हें भविष्य में अपने विधायक खोने का डर भी सता सकता है. उमर अब्दुल्ला ने अब इन निर्दलीय विधायकों के सहारे जम्मू का प्रतिनिधित्व करने का दावा किया है, जबकि कांग्रेस का जम्मू में एक भी सीट नहीं जीत पाना उसके लिए चिंता का विषय है.

बीजेपी का है कितना हाथ?

हालांकि, यह भी चर्चा में है कि बीजेपी का इस समर्थन में कोई हाथ हो सकता है. अगर कांग्रेस को नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन सरकार में मजबूत स्थिति मिलती, तो बीजेपी के लिए चुनौती बढ़ जाती. लेकिन अब स्थिति ऐसी बन गई है कि निर्दलीय विधायकों का बोलबाला बढ़ जाएगा, और कांग्रेस को और कमजोर किया जा सकता है. कुल मिलाकर, जम्मू-कश्मीर के चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए नई राजनीतिक मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं.

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