अंतरिक्ष में ग्रहों के टूटे टुकड़े घूमते रहते हैं. इन टुकड़ों में से कुछ कई बार पृथ्वी की तरफ भी आने लगते हैं. अगर वैज्ञानिकों के दावे को माने, तो सैंकड़ों सालों पहले इसी उल्कापिंड के टकराने की वजह से पृथ्वी से डायनासोर खत्म हो गए थे. इसके बाद भी कई बार उल्कापिंड पृथ्वी के बेहद नजदीक से गुजर चुके हैं. इस दौरान पृथ्वी के तबाह होने की खबरें सामने आती रहती हैं. ऐसा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण होता है. अगर इससे आकर्षित होकर उल्कापिंड पृथ्वी से टकरा जाए, तो तबाही मच जाएगी.
2020 में जब कोरोना महामारी की वजह से दुनिया में लॉकडाउन लग गया था, तब अप्रैल के महीने में कई एक्सपर्ट्स ने पृथ्वी के खत्म होने की चेतावनी दी थी. इसके पीछे वजह बना अंतरिक्ष से तेजी से गिर रहा उल्कापिंड. कहा गया कि ये उल्कापिंड पृथ्वी से टकरा जाएगा और धरती खत्म हो जाएगी. हालांकि, ऐसा हुआ नहीं. इसके बाद भी कई उल्कापिंड पृथ्वी के बेहद नजदीक से गिरते रहे हैं, जिससे पृथ्वी पर तबाही की संभावना जताई जाती रही है. लेकिन अब नासा ने इस समस्या का सॉल्यूशन निकाल लिया है.
बनाया अंतरिक्ष का रखवाला
नासा ने एक सैटेलाइट डिजाइन किया है, जिसका मुख्य काम है अंतरिक्ष से पृथ्वी की तरफ बढ़ने वाले उल्कापिंडों को डिटेक्ट करना. ये सैटेलाइट दूर से आ रहे उल्कापिंडों को सेन्स कर लेगा और वैज्ञानिकों का इसे लेकर काफी पहले आगाह कर देगा. अगर उल्कापिंड के पृथ्वी से टकराने की संभावना होगी, तो उसे काफी पहले ही खत्म कर दिया जाएगा. इससे भविष्य में उल्कापिंड के टकराने की वजह से पृथ्वी के तबाह होने की संभावना खत्म हो जाएगी.
2026 तक कर दिया जाएगा लॉन्च
नासा के अधिकारियों ने अंतरिक्ष के रखवाले इस उपग्रह को 2026 में लॉन्च करने का प्लान बनाया है. इसे नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट नाम दिया गया है. इसके शुरूआती डिजाइन को मंजूरी दे दी गई है. NEO सर्वेयर प्रोग्राम साइंटिस्ट माइक केली ने बताया कि यह प्रोजेक्ट काफी इम्पोर्टेन्ट है. उन्होंने कहा कि NEO सर्वेयर उन उल्कापिंडों को सेन्स कर पाएंगे जो आगे पृथ्वी से टकरा सकते हैं. साथ ही पृथ्वी के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं. ये रखवाले 140 मीटर तक बड़े उल्कापिंडों को खोज के लिए डिज़ाइन किये गए हैं. अगर थोड़ी भी संभावना हुई कि ये पृथ्वी से टकराएंगे, तो उसे इससे पहले ही नासा तबाह कर देगी या उसका रास्ता बदल देगी.