Joharlive Team
रांची। झारखंड कैडर के तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी अनिल पाल्टा के एडीजी सीआईडी बनने के बाद झारखंड में अनुसंधान के तौर-तरीकों को बदला जा रहा है। अपराध अनुसंधान विभाग में मामलों की जांच के लिए एडीजी ने नए गाइडलाइन जारी किए गए हैं।
- क्या है नया गाइडलाइन
किसी भी केस में अंतिम रिपोर्ट देकर अब मामले को बंद करना आसान नहीं होगा। एफआईआर दर्ज होने के बाद केस के जांच अधिकारी की रिपोर्ट का सुपरविजन कर अब तक डीएसपी या एसपी स्तर के अधिकारियों के दौरे का प्रगति प्रतिवेदन निकाला जाता था। केस की फाइल बंद करने की अनुशंसा भी सुपरविजन अधिकारियों की ओर से की जाती थी, जिसमें एसपी के आदेश भी शामिल होता था। सीआईडी एडीजी अनिल पाल्टा ने इस संबंध में नया आदेश जारी किया है। एडीजी सीआईडी के आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि सीआईडी की ओर से जिन कांडों की जांच की जा रही है उसमें अंतिम प्रगति प्रतिवेदन के विषय में सही जानकारी नहीं मिल पाती है। इसलिए सीआईडी एडीजी ने केस के क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के संबंध में एक परफॉर्मा तैयार किया है।
- अब कैसे बंद होगी केस की फाइल
सीआईडी एडीजी के आदेश के मुताबिक, किसी भी केस के पर्यवेक्षण अधिकारी अंतिम प्रगति प्रतिवेदन कांड की संचिका में समर्पित करेंगे। केस की फाइल बंद करने में आला अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की गई है। एसपी, डीआईजी और आईजी स्तर के अधिकारियों के माध्यम से यह फाइल एडीजी तक भेजी जाएगी। अंतिम प्रगति प्रतिवेदन में सभी वरीय अधिकारियों को नोट सीट पर अपनी टिप्पणी भी लिखनी होगी।
- 21 बिंदुओं पर देनी होगी जानकारी
अंतिम जांच रिपोर्ट में अब परफार्मा में अनुसंधानकर्ता को 21 बिंदुओं पर जानकारी देनी होगी। जिसमे कांड संख्या, घटना का समय, प्राथमिकी की तारीख, वादी का नाम और पता प्राथमिकी की धाराएं। इसके साथ-साथ पर्यवेक्षण में किन-किन आरोपियों के खिलाफ किन-किन धाराओं में मामला सत्य पाया गया, अभियुक्त के संबंध में पूरी जानकारी उनके पैन-पासपोर्ट नंबर समेत अंतिम प्रगति प्रतिवेदन देते के समय आरोपी को समन किया जाएगा। अंतिम प्रतिवेदन में यदि अनुसंधान में कोई विलंब की वजह हो तो वह भी बतानी होगी. प्राथमिकी से अलग कोई नया आरोप अगर सामने आता है तो उसकी संक्षिप्त विवरण भी देनी होगी। कांड के अनुसंधान की विस्तृत विवरण फॉरेंसिक रिपोर्ट, किसी अभियुक्त को सरकारी गवाह बनाया गया हो तो उसकी अनुशंसा कांड, साथ में उपलब्ध साक्ष्यों की कमी का विवरण भी अंतिम प्रतिवेदन में देना होगा।